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हम गलतियां क्यों करते हैं?

प्रसिद्ध विचारक जे. कृष्णमूर्ति के अनुसार- विचारशील होने से गलतियां नहींहोतीं.. आप फूल क्यों तोड़ते हैं? पौधों को क्यों विदीर्ण करते हैं? क्यों आप फर्नीचर नष्ट करते हैं या कोई कागज इधर-उधर फेंक देते हैं? मुझे मालूम है आपको ऐसा न करने के लिए कई बार कहा गया होगा। लेकिन आप यह सब करते हैं।

By Edited By: Published: Tue, 21 Feb 2012 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2012 07:20 PM (IST)
हम गलतियां क्यों करते हैं?

प्रसिद्ध विचारक जे. कृष्णमूर्ति के अनुसार- विचारशील होने से गलतियां नहींहोतीं..

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आप फूल क्यों तोड़ते हैं? पौधों को क्यों विदीर्ण करते हैं? क्यों आप फर्नीचर नष्ट करते हैं या कोई कागज इधर-उधर फेंक देते हैं? मुझे मालूम है आपको ऐसा न करने के लिए कई बार कहा गया होगा। लेकिन आप यह सब करते हैं। गलतियों को दोहराते हैं। लेकिन ऐसा करते समय आप अविचारशीलता की अवस्था में होते हैं? ये कार्यकलाप आप इसलिए करते हैं, क्योंकि आप उस वक्त विचारशील और जाग्रत नहीं हैं। आप ऐसा करते हैं, क्योंकि आप असावधान हैं। आप सोचते ही नहीं हैं। आपका मन तंद्रा में रहता है। आप पूर्णत: सजग नहीं हैं। वहां होकर भी स्वयं उस स्थान पर उपस्थित नहीं हैं। ऐसी अवस्था में आपको मना करने का कोई भी मतलब नहीं होगा। आप उसे ग्रहण कर ही नहीं पाएंगे। लेकिन यदि मना करने वाले आपको विचारशील होने में, सही अर्र्थो में सजग होने में, वृक्षों, पक्षियों, सरिता और वसुधा के अद्भुत ऐश्वर्य का आनंद लेने में आपकी सहायता कर सकें, तब आपके लिए एक छोटा-सा इशारा भी काफी होगा। तब आपके भीतर संवेदनशीलता विकसित हो चुकी होगी। तब आप प्रत्येक वस्तु के प्रति संवेदनशील और सचेत होंगे।

लेकिन यह दुर्भाग्य का विषय है कि यह करें, यह नहीं करें कहकर आपकी संवेदनशीलता ही नष्ट कर दी जाती है। आपके माता-पिता, शिक्षक, समाज, धर्म, पादरी, आपकी खुद की महत्वाकाक्षाएं, आपका लालच व ईष्र्याएं, ये सभी आपको कहते रहते हैं - आप यह करें, यह न करें। आप इन करने और न करने से मुक्त हों। साथ ही संवेदनशील भी हों, ताकि आप सहज दयालु बन सकें। किसी को चोट न पहुंचाएं। इधर-उधर कागज न फेंके। राह का पत्थर बिना हटाए आगे न बढ़ें। इन सारी बातों के लिए अंकुश की आवश्यकता नहीं, विचारशीलता की जरूरत होती है।

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