शीतलता ले रहे प्रभु
लीला पुरुषोत्तम के भक्त भी निराले हैं। प्रभु अपने भक्तों के लिए कुछ भी करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे में भला भक्त क्यों प्रभु को गर्मी में व्याकुल देखेंगे। वे कान्हा को ठंडक पहुंचाने के लिए तरह-तरह के जतन करने से भी पीछे नहीं रहते।
मथुरा। लीला पुरुषोत्तम के भक्त भी निराले हैं। प्रभु अपने भक्तों के लिए कुछ भी करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे में भला भक्त क्यों प्रभु को गर्मी में व्याकुल देखेंगे। वे कान्हा को ठंडक पहुंचाने के लिए तरह-तरह के जतन करने से भी पीछे नहीं रहते। इत्र-फुलेल से महकते फूल बंगले सजाकर उनको शीतलता प्रदान कर भक्त खुद को धन्य मानता है। इसलिए ब्रज में आजकल भव्य फूल बंगलों की होड़ लगी हुई है। आम आदमी भले ही दो जून की रोटी की जुगाड़ में 42 डिग्री तापमान पर भुना जा रहा है, पर ब्रज में भगवान इत्र-फुलेल से शीतलता ले रहे हैं। पचास हजार रुपये से लेकर पांच लाख तक की कीमत वाले फूल बंगलों में बांके बिहारी के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगी हुई है। द्वारिकाधीश, राधा दामोदर, राधा रमण और राधा वल्लभ मंदिरों में भी फूलों की बहार आई हुई है। सबसे ज्यादा ठाठ-बाट बांके बिहारी के हैं। पूरी गर्मी भगवान शैया पर और फूल बंगलों में सांध्यकालीन दर्शन देते हैं। भक्तों में अपने भगवान को गर्मी से राहत देने की होड़ भी है। फूल, केले के पत्ते, सब्जियां, मेवा, मिठाई, रुपया और तुलसी दल से सजने वाले शीतल बंगले बनवाने वाले सालभर पहले ही बुकिंग कराने के बाद ये सुख पा रहे हैं। आजकल प्रभु अपने गर्भ गृह से निकल कर संध्या के समय फूल बंगलों में दर्शन दे रहे हैं। चैत्र शुक्ल एकादशी से शुरू होने वाले फूल बंगलों का क्त्रम अभी श्रावण कृष्ण अमावस तक चलेगा। झुलसाती गर्मी के प्रकोप से अपने आराध्य को बचाने के लिए फूल बंगले बनाना लोक परंपरा का हिस्सा है। हालांकि मनौती पूरी होने के बाद श्रद्धालु इसका अनुष्ठान रूप में भी अनुसरण करने लगे हैं।
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