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ब्रज में और बरसेगा भक्ति माधुर्य

ब्रज माधुर्य कौ जवाब नाएं। कृष्ण भक्ति का माखन यहां हर वक्त बरसता है। वर्षा काल में तो इसमें मिश्री की मिठास भी मिल जाती है। अबकी तो इस कालखंड में पुरुषोत्तम मास और है।

By Edited By: Published: Fri, 17 Aug 2012 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2012 12:04 PM (IST)
ब्रज में और बरसेगा भक्ति माधुर्य

मथुरा। ब्रज माधुर्य कौ जवाब नाएं। कृष्ण भक्ति का माखन यहां हर वक्त बरसता है। वर्षा काल में तो इसमें मिश्री की मिठास भी मिल जाती है। अबकी तो इस कालखंड में पुरुषोत्तम मास और है। ऐसे में भक्ति की रसधारा का एक और अध्याय चलने वाला है। करीब पचास हजार अनुष्ठान ब्रज के मंदिरों व आश्रमों में शनिवार से शुरू होंगे। इस मध्य हजारों श्रद्धालु एक महीने के लिए कल्पवास पर रहेंगे। पांच लाख से ज्यादा वैष्णव एवं अप्रवासी भारतीय यात्री इस दौरान पुण्य कमाने ब्रज भ्रमण को पहुंचेंगे।

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चातुर्मास चल रहा है और पुरुषोत्तम मास शनिवार से शुरू हो रहा है। माना जाता है कि सारे पाप कर्मो का क्षय कर हजारों गुना विशेष पुण्य फल देने वाले मल मास में ब्रज वसुंधरा में घर-घर और मंदिर-मंदिर धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला शुरू होगी। इस एक महीने में पूरे साल के सभी त्योहार पड़ेंगे तो जानकार लोग इन पर्वो का विशेष फल हासिल करने के लिए अभी से जुट गए हैं। शनिवार को नव संवत्सर होगा तो इसी प्रकार हर तिथि पर एक नया त्यौहार विशेष तिथि के अनुसार मनाया जाएगा। विशेष पुण्यकारी माने गए इस महीने में श्रीमद्भागवत, विष्णु कथा, श्रीराम कथा, श्रीकृष्ण कथा आदि का वाचन होगा। वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, महावन, बल्देव, मथुरा, नंदगांव आदि के हर मंदिर तथा आश्रम में कोई न कोई विशेष धार्मिक अनुष्ठान रखा गया है। तमाम लोग अपने इष्ट के मंत्रों का जाप शुरू करेंगे तो हजारों लोगों ने सत्य नारायण कथा, भागवत कथा व रामायण आदि के कार्यक्रम रखे हैं। एक अनुमान के अनुसार पांच सौ के करीब श्रीमद्भागवत कथा आयोजन तो सार्वजनिक रूप से ही हो रहे हैं। वृंदावन के बाजारों में बड़े श्रीमद्भागवत कथा आयोजनों के होर्डिग लग चुके हैं। प्रख्यात भागवताचार्य इस दौरान ब्रज में कथा वाचन को महत्व दे रहे हैं। आएंगे पांच लाख वैष्णव श्रद्धालु-पुरुषोत्तम मास का पुण्य कमाने के लिए करीब पांच लाख वैष्णव ब्रज भ्रमण पर आएंगे। बताया गया है कि आने वालों में अप्रवासी भारतीय भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, गुजरात, काठियावाड़ आदि इलाकों में इस मास की सर्वाधिक मान्यता है, लिहाजा इन दिशाओं से आने वालों की संख्या सर्वाधिक रहेगी। पंडों व पुरोहितों के अनुसार उनके जिजमानों ने पहले ही आगमन का प्रोग्राम बता दिया है। अधिकांश यात्री कुछ दिन रहकर वापसी करेंगे। इस बीच तीन सितंबर व 18 सितंबर को दो बड़ी ब्रज चौरासी कोस यात्राएं भी शुरू होंगी। होटल, गेस्ट हाउस बुक-एक महीने के लिए ब्रज के होटल, गेस्ट हाउस व धर्मशालाएं अभी से बुक करा दी गयी हैं। पुरोहितों के अनुसार यात्रियों के आगमन तिथि के लिए अभी से बुकिंग करायी गयी है। मथुरा का जहां हर गेस्ट हाउस बुक है तो वृंदावन के आश्रमों में जगह नहीं बची है। वृंदावन में सबसे ज्यादा धार्मिक आयोजन होने वाले हैं। गोकुल की यही स्थिति है, जबकि गोवर्धन में यात्रियों की आमद के अनुसार एक-एक दिन की बुकिंग हुई हैं। हजारों कल्पवास पर-घीया मंडी स्थित प्राचीन दीर्घ विष्णु मंदिर के सेवायत कांता नाथ चतुर्वेदी बताते हैं कि पुरुषोत्तम मास में कल्प वास का अलग ही महत्व है। हजारों लोग कल्प वास करेंगे। इस दौरान एक महीने तक नियम-संयम बरते जाएंगे। कोई अन्न छोड़ कर रहेगा तो कोई केवल जल, दूध या फलाहार करेगा। नंगे पैर रहना, जमीन पर शयन, इंद्रिीय सुखों से दूर रहने के अलावा व्रत, उपवास, दान, पूजा, यज्ञ, हवन, तप तथा यमुना स्नान भी लोग करेंगे। इस महीने नहीं कोई सूर्य संक्रांति-दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान के निदेशक आचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी के अनुसार इस महीने कोई सूर्य संक्रांति नहीं है। इस महीने कांसे के बर्तन मे 35 माल पूआ रखकर किसी योग्य ब्राहृमण को दान करने से विशेष धन व आरोग्य प्राप्ति होगी। ज्योतिषी शालिनी द्विवेदी के अनुसार पूरे महीने ब्रहृम मुहूर्त में स्नान कर व्रत रखें या सूर्य उपासना, महादेव पूजा करें। रामचरित मानस का पाठ करें। इस दौरान गणपति अथर्वशीर्ष अथवा श्रीसूक्त के पाठ करें और इसके बाद हवन करें। साल भर तक धन्य-धान्य की कमी नहीं रहेगी। गोवर्धन पहुंचेंगे दो करोड़ श्रद्धालु-पुरुषोत्तम मास की शुरुआत के लिए शुक्रवार से ही गोवर्धन में परिक्रमार्थियों का रेला शुरू हो जायेगा। यह स्थिति पूरे एक माह रहेगी। अनुमान है कि इन तीस दिनों में करीब दो करोड़ लोग श्री गिरिराज महाराज के दर्शनों को पहुंचेंगे।

इस दौरान दिन-रात परिक्रमा लगेगी और पूरा कस्बा श्री गिरिराज महाराज के जयकारों से गूंजेगा। अधिक मास में सभी शनिवार, रविवार, एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन तो गोवर्धन में श्रद्धालु और ज्यादा पहुंचेंगे। इन महत्वपूर्ण तिथियों पर दिल्ली, हरियाणा, पलवल, गुड़गांव, मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि से श्रद्धालु पहुंचेंगे।

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