नक्षत्रों का रहस्य जानेंगे विदेशी
वैज्ञानिक भले ही ज्योतिष को अंधविश्वास से जोड़कर देखते हों लेकिन भारत ही नहीं विदेशों में भी लोगों का विश्वास च्योतिष से कम नहीं हो रहा है।
इलाहाबाद। वैज्ञानिक भले ही ज्योतिष को अंधविश्वास से जोड़कर देखते हों लेकिन भारत ही नहीं विदेशों में भी लोगों का विश्वास च्योतिष से कम नहीं हो रहा है। ग्रह-नक्षत्रों व पर्यावरणीय बदलाव का रहस्य जानने के लिए विदेशी च्योतिषी प्रयाग आएंगे। मकर संक्त्रांति से मौनी अमावस्या तक वे सूर्य, चंद्रमा, ग्रह-नक्षत्रों की चाल, जल, थल, अंतरिक्ष, पर्यावरण में होने वाले बदलाव, उथल-पुथल पर शोध करेंगे। च्योतिषियों के शोध के लिए भारतीय विद्या भवन में वेद-पुराण, पुराने पंचांग व कम्प्यूटर की व्यवस्था की जा रही है। लता ठक्कर दुबई, स्वामी व्योमानंद आस्ट्रेलिया, डॉ. बीना शर्मा अमेरिका, अतुल मंचनायके श्रीलंका, खिलवास्ता कोटि नेपाल, कुंडलनी रिसर्च इंस्टीट्यूट आस्ट्रेलिया के स्वामी मोर्नामूर्ति, अमेरिकन एस्ट्रो फेडरेशन सहित अनेक संस्थानों से जुड़े सौ के लगभग ज्योतिषियों के आने की खबर है। इनकी मदद के लिए यहां के ज्योतिषियों की टीम बनाई गई है, जो उनकी हर शंका का समाधान करेंगे। शोध व वह प्राच्य विद्या च्योतिष अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान की ओर से चार से आठ फरवरी तक आयोजित च्योतिष महाकुंभ में भी शिरकत करेंगे। देश-विदेश के पांच सौ से अधिक च्योतिषी भाग लेंगे। संस्थान के निदेशक डॉ. रामनरेश त्रिपाठी के अनुसार प्रयाग और काशी ज्योतिष शोध के प्रमुख केंद्र हैं।
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