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अतिक्रमण के शिकंजे में मंदिर और आम रास्ते

वृंदावन इन दिनों अतिक्त्रमणकारियों के शिकंजे में है। बांके बिहारी मंदिर पर भी नियम-कानून तार-तार हो रहे हैं। एक मार्ग ऐसा नहीं, जिस पर कानून का जनाजा न निकल रहा हो।

By Edited By: Published: Tue, 08 May 2012 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2012 05:14 PM (IST)
अतिक्रमण के शिकंजे में मंदिर और आम रास्ते

वृंदावन। वृंदावन इन दिनों अतिक्त्रमणकारियों के शिकंजे में है। बांके बिहारी मंदिर पर भी नियम-कानून तार-तार हो रहे हैं। एक मार्ग ऐसा नहीं, जिस पर कानून का जनाजा न निकल रहा हो।

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छटीकरा मार्ग से नगर में प्रवेश करने पर करीब दो किमी दूर से अवैध कब्जे का सिलसिला शुरु हो जाता है। हाल ही में निर्मित प्रेम मंदिर के सामने से बांके बिहारी मंदिर के प्रमुख चौराहे हरि निकुंज एवं विद्यापीठ तक राह निकलना दूभर है। प्रेम मंदिर, इस्कान, हरि निकुंज, विद्यापीठ जैसे चौड़े रास्तों पर वाहनों की तीन-चार लाइनें लगना तथा दोनों ओर अवैध रूप से काबिज कारोबारियों का जाल बिछा हुआ है।

बिहारी जी मंदिर के लिये परिक्त्रमा मार्ग, लोई बाजार, हरि निकुंज, विद्यापीठ, गांधी मार्ग, बजाजा बाजार से आने वाले किसी भी रास्ते पर कानून दिखाई नहीं देता। लगभग हर दिन वीआईपी आकर बांके विहारी के दर्शन करते हैं, किंतु उनका आना और प्रशासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का यहां जाना भी कानून पालन की दृष्टि से बेमानी साबित हो रहा है। मंदिर की सीढि़यों, परिक्त्रमा मार्ग तक पर भरपूर अतिक्त्रमण साफ दिखाई देता है। इस स्थान पर अनेक रक्षकों की भी तैनाती रहती है, पास ही बिहारी जी की पुलिस चौकी है और नगर में ही पालिका परिषद के रक्षक विराजमान हैं, लेकिन किसी को भी सार्वजनिक रास्तों को नागरिकों एवं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के अनुकूल बनाने की फुर्सत नहीं है।

ठा. बांके विहारी मंदिर की प्रसिद्धि विश्व भर में है। भगवान की शरण में लोकतंत्र के चारों स्तंभों के असरदार व्यक्ति आते हैं। शीश झुका मुराद पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। लेकिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इसके महत्व से शायद कोई सरोकार नहीं है। सोमवार को मंदिर की प्याऊ के पास कूड़े का ढेर जमा था। कुत्ते उसमें खाने की सामग्री तलाश रहे थे, लेकिन किसी जिम्मेदार हाकिम को इसे हटवाने की फुर्सत नहीं थी।

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