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पवित्र छड़ी मुबारक का नागपंचमी पूजन संपन्न

बाबा अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक का सोमवार को अमरेश्वर मंदिर दशनामी अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नागपंचमी पूजन संपन्न हुआ। इसके साथ ही छड़ी अब 28 जुलाई की सुबह पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करने से पूर्व आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ दशनामी अखाड़ा में स्थापित रहेगी।

By Edited By: Published: Tue, 24 Jul 2012 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2012 05:30 PM (IST)
पवित्र छड़ी मुबारक का नागपंचमी पूजन संपन्न

श्रीनगर। बाबा अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक का सोमवार को अमरेश्वर मंदिर दशनामी अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नागपंचमी पूजन संपन्न हुआ। इसके साथ ही छड़ी अब 28 जुलाई की सुबह पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करने से पूर्व आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ दशनामी अखाड़ा में स्थापित रहेगी।

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पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक और दशनामी अखाड़ा के महंत दिपेंद्र गिरी ने अमरेश्वर मंदिर में सूर्यास्त से पूर्व बाबा अमरनाथ की छड़ी मुबारक के नागपंचमी पूजन को संपन्न किया। गिरी ने बताया कि अब पवित्र छड़ी मुबारक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए स्थापित की जाएगी। 28 जुलाई सुबह आठ बजे वैदिक मान्यताओं और सनातन परंपरानुसार दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी। रास्ते में दुर्गानाग, सूर्येश्वर मंदिर सोनवार, शिवमंदिर पांपोर, शिव मंदिर बीजबेहाड़ा और मार्तड मंदिर मट्टन में विश्राम और पूजा के बाद उसी शाम पहलगाम में लिद्दर किनारे स्थित मंदिर गणेशबल मंदिर में पहुंचेगी।

इसके बाद यह 30 जुलाई द्वादशी के दिन यह पहलगाम से प्रस्थान करते हुए रात्रि विश्राम चंदनबाड़ी में करेगी। चंदनबाड़ी से 31 जुलाई की सुबह त्रयोदशी के अवसर पर पूजा अर्चना के बाद आगे के लिए प्रस्थान करेगी और रात्रि विश्राम शेषनाग मे होगा। दशनामी अखाड़ा के महंत दिपेंद्र गिरी ने बताया कि पहली अगस्त चतुर्दशी के सुबह पवित्र छड़ी मुबारक शेषनाग से प्रस्थान करते हुए रात्रि विश्राम पंचतरणी में करेगी। दो अगस्त श्रावण पूर्णिमा की सुबह यह पंचतरणी से रवाना होगी और पवित्र गुफा में पहुंचेगी। श्रावण पूर्णिमा को पवित्र छड़ी मुबारक के पवित्र गुफा में प्रवेश और पूजा अर्चना के साथ ही भगवान अमरेश्वर का मुख्य दर्शन होगा और यात्रा संपन्न होगी।

पवित्र गुफा में पूजा अर्चना के बाद छड़ी मुबारक उसी दिन वापस पंचतरणी लौट आएगी। रात को पंचतरणी में विश्राम के बाद तीन जुलाई को पवित्र छड़ी मुबारक पहलगाम पहुंचेगी और रात को वहीं विश्राम करेगी। अगले दिन चार अगस्त को लिद्दर किनारे भंडारा होगा और परंपरागत रूप से यात्रा संपन्न हो जाएगी।

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