बीसीसीआई के खिलाफ जनहित याचिका
इंडियन प्रीमियर लीग के 2012 सत्र की शुरूआत से तीन दिन पूर्व बंबई उच्च न्यायालय में बीसीसीआई के खिलाफ पिछले सत्रों में नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पुलिस के बकाया पांच करोड़ रुपए का भुगतान करने में नाकाम रहने पर जनहित याचिका दायर की गई है।
मुंबई। इंडियन प्रीमियर लीग के 2012 सत्र की शुरूआत से तीन दिन पूर्व बंबई उच्च न्यायालय में बीसीसीआई के खिलाफ पिछले सत्रों में नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पुलिस के बकाया पांच करोड़ रुपए का भुगतान करने में नाकाम रहने पर जनहित याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता संतोष पचालग ने दावा किया है कि बीसीसीआई पर नवी मुंबई पुलिस के 51773238 रुपए बकाया है। जनहित याचिका में कहा गया है, 2010 सत्र के दौरान डीवाई पाटिल स्टेडियम में 12 मार्च से 25 अप्रैल के बीच छह मैचों का आयोजन किया गया। स्टेडियम में कुल 3345 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया। नवी मुंबई पुलिस के साथ कर्मचारियों की कमी थी इसलिए पुणे और सतारा जिले के पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया। इस जनहित याचिका पर इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है। महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक [प्रशासन] ने 14 जनवरी 2010 को सर्कुलर जारी करके सभी पुलिस आयुक्तों और पुलिस जिला अधीक्षकों को बीसीसीआई से आईपीएल मैचों के दौरान सुरक्षा खर्च वसूल करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया, नवी मुंबई पुलिस ने आठ नवंबर 2010 को बीसीसीआई को 56526238 रुपए का बिल भेजा। क्रिकेट संस्था ने हालांकि सिर्फ 4753000 रुपए का भुगतान करते हुए कहा कि उसने नागपुर पुलिस को इतना ही भुगतान किया है और इसलिए अधिक पैसा नहीं दिया जाएगा।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि नवी मुंबई पुलिस उपायुक्त ने मई 2011 तक बीसीसीआई को बकाया राशि के भुगतान के लिए कई पत्र लिखे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस भी शांत हो गई और बकाया राशि के भुगतान के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। याचिका में कहा गया, आईपीएल मैचों के दौरान ध्वनि प्रदूषण के लिए भी आयोजकों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए लेकिन इस अपराधों के सिलसिले में भी कुछ नहीं किया गया। याचिका में पुलिस को बकाया राशि वसूलने का निर्देश देने को कहा गया है और कहा गया है कि जब तक भुगतान नहीं हो तब तक चार अप्रैल से शुरू हो रहे आगामी आईपीएल मैचों के लिए सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाए।
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