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सिर्फ मास्टर ही नहीं, वीरू और गौती भी तरस रहे हैं

टीम इंडिया के खराब फार्म के बीच बेशक सचिन के फैंस लगातार उनके सौवें शतक का मुंह ना देख पा रहे हों,बेशक मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पिछली 21 अंतरराष्ट्रीय पारियों से शतक के लिए तरस रहे हों लेकिन उनके साथी और सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर भी पिछली 40 अंतरराष्ट्रीय पारियों और वीरेंद्र सहवाग पिछली 19 टेस्ट पारियों से तिहरे अंक में नहीं पहुंच पाए हैं।

By Edited By: Published: Sun, 08 Jan 2012 02:58 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jan 2012 02:58 PM (IST)
सिर्फ मास्टर ही नहीं, वीरू और गौती भी तरस रहे हैं

नई दिल्ली। टीम इंडिया के खराब फार्म के बीच बेशक सचिन के फैंस लगातार उनके सौवें शतक का मुंह ना देख पा रहे हों,बेशक मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पिछली 21 अंतरराष्ट्रीय पारियों से शतक के लिए तरस रहे हों लेकिन उनके साथी और सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर भी पिछली 40 अंतरराष्ट्रीय पारियों और वीरेंद्र सहवाग पिछली 19 टेस्ट पारियों से तिहरे अंक में नहीं पहुंच पाए हैं।

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यदि इस आंकड़े को थोड़ा विस्तार दिया जाए तो तेंदुलकर पिछले नौ टेस्ट मैच की 17 पारियों में सैकड़ा नहीं जमा पाए लेकिन गंभीर तो पिछली 33 टेस्ट पारियों से शतक लगाने से महरूम रहे हैं। वहीं सहवाग ने वेस्टइंडीज के खिलाफ इंदौर में एकदिवसीय मैच में रिकार्ड दोहरा शतक जमाया लेकिन इससे पहले 19 अंतरराष्ट्रीय पारियों में वह शतक नहीं लगा पाए थे। तेंदुलकर ने 2011 में टेस्ट और वनडे दोनों में शतक लगाए। उन्होंने आखिरी अंतरराष्ट्रीय शतक 12 मार्च 2011 को विश्व कप के दौरान लगाया था लेकिन सहवाग नवंबर 2010 से टेस्ट मैचों में शतक नहीं लगा पाए हैं। दिल्ली के उनके साथी गंभीर को तो टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाए हुए दो साल हो गए हैं।

गंभीर ने अपना आखिरी सैंकड़ा बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में जनवरी 2010 में लगाया था। इसके बाद 18 टेस्ट मैच की 33 पारियों में गंभीर ने 30.25 की औसत से 938 रन बनाए हैं जिसमें नौ अर्धशतक शामिल हैं। यदि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बात की जाए तो गंभीर ने चार दिसंबर 2010 के बाद से सैकड़ा नहीं जमाया है और तब से वह वनडे में 21 और टेस्ट में 19 पारियां खेल चुके हैं। पिछले दो साल में भारत के केवल तीन बल्लेबाज तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ही विदेशी सरजमीं पर 1000 से अधिक रन बना पाए हैं। वैसे पिछले साल विश्व कप के बाद वेस्टइंडीज दौरे से विदेशों में भारत की तरफ से केवल चार शतक लगे हैं और यह सभी सैंकड़े द्रविड़ के बल्ले से निकले हैं। गंभीर ने जुलाई 2010 में श्रीलंका दौरे से विदेशी सरजमीं पर आठ मैच की 16 पारियों में 27.81 की औसत से 445 रन बनाए हैं जिसमें चार अर्धशतक शामिल हैं। सहवाग का भी 2010-11 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे से देश और विदेश में 19 पारियों में सर्वाधिक स्कोर 67 रन रहा है जो उन्होंने हाल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट में बनाया था।

इस बीच सहवाग ने पांच अर्धशतक जमाए लेकिन तीन बार वह खाता खोले बिना जबकि आठ बार 20 से कम स्कोर पर पवेलियन लौटे। इन दस मैच की 19 पारियों में उन्होंने 28.31 की औसत से 538 रन बनाए हैं। यदि इस दौरान विदेशी सरजमीं पर उनके प्रदर्शन को देखा जाए तो सात मैच की 14 पारियों में सहवाग के नाम पर 20.92 की औसत से केवल 293 रन दर्ज हैं। सलामी जोड़ी के तौर पर इनके प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो टेस्ट मैचों में पिछली 15 पारियों में सहवाग और गंभीर केवल एक शतकीय साझेदारी निभा पाए हैं। इस बीच दोनों ने 544 रन जोड़े हैं जिनमें चार अर्धशतकीय साझेदारियां शामिल है। इन दोनों ने आखिरी शतकीय साझेदारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिसंबर 2010 में सेंचुरियन में निभाई थी। इसके बाद से 13 पारियों में वे इस मुकाम पर पहुंचने में नाकाम रहे हैं। भारत ने तब से छह सलामी जोडि़यां आजमाई हैं लेकिन कोई भी शतकीय साझेदारी नहीं निभा पाई है जो विदेशों में टीम के लचर प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

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