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सीरीज की सकारात्मक शुरुआत पर होगी नजर

मेलबर्न। बाक्सिंग डे के दिन शुरू हो रही भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में मेहमान टीम की नजर सकारात्मक शुरुआत से होगी। दोनों टीमों को बल्ले और गेंद के अलावा मानसिक मजबूती की कड़ी परीक्षा देनी होगी। वहीं टीम इंडिया के पास आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर 64 साल में पहली बार सीरीज जीतने का सुनहरा अवसर होगा।

By Edited By: Published: Sun, 25 Dec 2011 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 25 Dec 2011 01:52 PM (IST)
सीरीज की सकारात्मक शुरुआत पर होगी नजर

मेलबर्न। बाक्सिंग डे के दिन शुरू हो रही भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में मेहमान टीम की नजर सकारात्मक शुरुआत से होगी। दोनों टीमों को बल्ले और गेंद के अलावा मानसिक मजबूती की कड़ी परीक्षा देनी होगी। वहीं टीम इंडिया के पास आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर 64 साल में पहली बार सीरीज जीतने का सुनहरा अवसर होगा।

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आस्ट्रेलियाई टीम पिछले कुछ समय से लगातार जूझती रही है और ऐसे में इसे भारतीय टीम के लिए यहां सीरीज नहीं जीत पाने के लंबे इंतजार को खत्म करने का बेहतरीन मौका माना जा रहा है। आस्ट्रेलिया की टीम युवा और अनुभवहीन है और माइकल क्लार्क स्वयं स्वीकार कर चुके हैं उनके युवा गेंदबाजों को भारत की अनुभवी बल्लेबाजों के सामने कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। लेकिन महेंद्र सिंह धौनी की टीम के लिए मुकाबला किसी भी कोण से आसान नहीं होगा। भारतीय रिकार्ड में भले ही लगातार सुधार हो रहा है लेकिन उन्हें आस्ट्रेलिया की उन कड़ी परिस्थितियों से जूझना होगा जिनके लिए यह देश जाना जाता है। भारत अनुभव के दम पर इस बार आस्ट्रेलिया से आगे दिख रहा है लेकिन लंबे चौड़े मैदान और उछाल लेती पिचें भारतीय टीम की कड़ी परीक्षा लेंगी। आस्ट्रेलिया पिछले कुछ समय से खराब दौर से गुजर रहा है और इसलिए इसे भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ अवसर माना जा रहा है। ऐसे में अगर सचिन तेंदुलकर 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक भी पूरा कर लेते हैं तो इसे सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा। असल में उनके शतक का इस तरह से इंतजार किया जा रहा है कि यदि वह पहले टेस्ट में ही यह उपलब्धि हासिल कर लेते हैं तो यह परिणाम पर भारी पड़ जाएगा। अब तक 184 टेस्ट मैचों में 15,183 रन बनाने वाले तेंदुलकर पिछले सात टेस्ट की 13 पारियों और चार वनडे मैचों से अपने महाशतक का इंतजार कर रहे हैं। यहां तक कि अब टीम के उनके साथी भी उनसे इस इंतजार को खत्म करने का आग्रह कर रहे हैं। दूसरी तरफ रिकी पोंटिंग हैं जिन्होंने 158 टेस्ट मैच में 12,656 रन बनाए हैं और डान ब्रैडमैन के बाद आस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं लेकिन वह पिछले दो साल से शतक नहीं लगा पाए हैं। पिछले 16 टेस्ट और 30 पारियों में शतक नहीं लगा पाने के कारण वह आलोचकों के निशाने पर हैं। पोंटिंग इस सीरीज में उन्हें करारा जवाब देने की कोशिश करेंगे।

भारत के लिए यह सीरीज बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि आस्ट्रेलिया में उसने अब तक 64 साल में जो नौ सीरीज खेली हैं उनमें वह कभी जीत दर्ज नहीं कर पाया है। यही नहीं भारतीय बल्लेबाज के तीन धुरंधरों तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ [160 टेस्ट में 13,094 रन] और वीवीएस लक्ष्मण [130 टेस्ट में 8,626 रन] के पास यह निश्चित तौर पर आस्ट्रेलिया में इतिहास रचने का आखिरी मौका होगा क्योंकि भारत को आस्ट्रेलिया का अगला दौरान 2014 में करना है। कागजों में भारत के लिए यह आसान काम माना जा रहा है क्योंकि आस्ट्रेलिया के पास जेम्स पैटिंसन [दो टेस्ट], पीटर सिडल [27 टेस्ट], बेन हिल्फेनहास [17 टेस्ट] और नाथन ल्योन [सात टेस्ट] के रूप में अनुभवहीन आक्रमण है। लेकिन जिस तरह से इन्होंने हाल में व्यक्तिगत और गेंदबाजी समूह के तौर पर प्रदर्शन किया है उससे वे आगामी सीरीज में आस्ट्रेलिया के सबसे शक्तिशाली हथियार बन सकते हैं। पैटिंसन, सिडल और हिल्फेनहास तीनों ही 140 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं। उनकी गेंदबाजी में विविधता है। पैटिंसन जहां बेहद तेजी के साथ बाहर की तरफ गेंद मूव कराते हैं, सिडल को अच्छी उछाल मिलती और हिल्फेनहास को उनकी लेट स्विंग के लिए जाना जाता है। ल्योन आस्ट्रेलिया के पास पिछले 30 साल में सर्वश्रेष्ठ आफ स्पिनर है।

आस्ट्रेलिया को भरोसा है कि उनका आक्रमण बल्लेबाजों की असफलता की भरपाई करेगा क्योंकि पिछले दो साल में 21 टेस्ट मैचों में अलग-अलग पारियों में उसकी टीम 136, 47, 192, 88 और 127 रन के छोटे स्कोर पर ढेर हुई है। आस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी चिंता उनके सबसे अनुभवी बल्लेबाजों पोंटिंग और माइकल हस्सी का नहीं चल पाना है। उसे भले ही उम्मीद है कि एड कोवान और डेविड वार्नर की नई सलामी जोड़ी उसकी ओपनिंग की परेशानी को खत्म करने में सफल रहेगी। असल में आस्ट्रेलिया अपनी बल्लेबाजी को लेकर ही चिंतित हैं। स्विंग उसकी कमजोरी बनी हुई है और ऐसे में जहीर खान, ईशांत शर्मा और उमेश यादव उनके बल्लेबाजों को थर्रा सकते हैं। यह अलग बात है कि जहीर और ईशांत हाल में टखने की चोट से परेशान रहे और उनकी फिटनेस टीम के लिए चिंता का विषय है लेकिन दोनों ने नेट्स पर अच्छे संकेत दिए हैं। ईशांत ने तो अपने पूरे दमखम से गेंदबाजी की जबकि जहीर भी पहले टेस्ट मैच में खेलने के लिए बेताब हैं। ईशांत ने 2008 में पोंटिंग को लगातार अपना शिकार बनाकर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। वह अब तक छह बार पोंटिंग को आउट कर चुके हैं। जहीर हालांकि अभी तक कभी आस्ट्रेलिया का पूरा दौरा नहीं कर पाए हैं और उन्होंने लगभग 40 रन की औसत से रन बनाए हैं लेकिन वह इसकी भरपाई करने के लिए बेताब हैं। भारत के लिए नई गेंद के गेंदबाजों जहीर और ईशांत की फिटनेस जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही उसे गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग से बल्लेबाजी में अच्छी शुरुआत की दरकार है। दिल्ली के इन दोनों सलामी बल्लेबाजों ने इस साल शतक नहीं जड़ा है और यदि भारतीय मध्यक्रम को चलना है तो इन दोनों को गेंद की चमक उतारनी होगी। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड की पिच से तेज गेंदबाजों को मदद मिलने की उम्मीद है तथा इसमें पहले 30 ओवर अहम होंगे। ऐसे में गंभीर और सहवाग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण बन जाती है। गंभीर ने अभी तक आस्ट्रेलिया में टेस्ट नहीं खेला है जबकि सहवाग ने सात मैच में 59.50 की प्रभावशाली औसत से 833 रन बनाए हैं। युवा विराट कोहली का छठे नंबर के बल्लेबाज के रूप में चुना जाना तय है। उनकी इस स्थान के लिए फार्म में चल रहे रोहित शर्मा से प्रतिस्पद्र्धा है। धौनी को भी साबित करना होगा कि इंग्लैंड के हाथों 0-4 की हार उनके चमकदार करियर में महज अपवाद था। मैच के पहले दिन आसमान पर बादल छाए रहने और हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना है और ऐसे में दोनों कप्तान पहले क्षेत्ररक्षण करना उचित समझेंगे।

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