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छोटी काशी की धरोहरों पर धूल

इतिहास के पन्नों पर हरिपुर को छोटी काशी के नाम से तो जाना जाता है लेकिन वर्तमान में यह कस्बा उपेक्षा का शिकार है। यहां की धरोहर पर वक्त के साथ धूल की परत भी मोटी होती गई लेकिन इस पर किसी की नजर नहीं गई। यहां की बहुमूल्य धरोहर को सहेजने के लिए न तो सरकार ने कदम उठाया है और न ही कोई संस्था आगे आई है।

By Edited By: Published: Sat, 20 Apr 2013 03:54 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2013 03:54 PM (IST)
छोटी काशी की धरोहरों पर धूल

देहरा। इतिहास के पन्नों पर हरिपुर को छोटी काशी के नाम से तो जाना जाता है लेकिन वर्तमान में यह कस्बा उपेक्षा का शिकार है। यहां की धरोहर पर वक्त के साथ धूल की परत भी मोटी होती गई लेकिन इस पर किसी की नजर नहीं गई।

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यहां की बहुमूल्य धरोहर को सहेजने के लिए न तो सरकार ने कदम उठाया है और न ही कोई संस्था आगे आई है।

हरिपुर का ऐतिहासिक किला पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। किले के भीतर की जगह को कई प्रजातियों के बेल-पत्तों ने भर दिया है। यहां दो तालाब हैं, एक छोटा व एक बड़ा। छोटा तालाब सूख चुका है जबकि बड़ा तालाब भरा है। यहां पानी में जमी काई बता रही है कि कई दिन तक यहां तक कोई नहीं पहुंचा है। किले के आसपास में स्थित 365 देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर, जिनमें धूड़ू बाबा का प्राचीन मंदिर, प्राचीन राम मंदिर, 800 साल पुराना राधा-कृष्ण मंदिर, ऐतिहासिक तारा देवी मंदिर आदि हरिपुर को दिए गए नाम छोटी काशी, की सत्यता को सिद्ध करते हुए प्रतीत होते हैं। मंदिरों की दीवारों पर प्राचीन कांगड़ा चित्रकला के नमूने भी बिना देखरेख के मिटने के कगार पर हैं। हरिपुर में 365 कुएं एवं बावडि़यां हैं लेकिन आज इनका भी अस्तित्व मिटने की कगार पर है।

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