दुर्वा और मोदक से करें भगवान गणेश को प्रसन्न
सनातन धर्म में कुछ त्योहार हर महीने आते हैं, जो कि किसी ईष्ट देव के प्राकट्य दिवस की तिथि को आता है। इनमें शिवरात्रि, प्रदोष और गणेश चतुर्थी मुख्य हैं। इनमें गणेश चतुर्थी के व्रत को हर महीने पड़ने वाले त्योहारों में मुख्य माना जाता है। विघ्नहर्ता के जन्मदिवस से संबंधित इस तिथि में खास नक्षत्र पड़ने से व्रत करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
हरिद्वार। सनातन धर्म में कुछ त्योहार हर महीने आते हैं, जो कि किसी ईष्ट देव के प्राकट्य दिवस की तिथि को आता है। इनमें शिवरात्रि, प्रदोष और गणेश चतुर्थी मुख्य हैं। इनमें गणेश चतुर्थी के व्रत को हर महीने पड़ने वाले त्योहारों में मुख्य माना जाता है। विघ्नहर्ता के जन्मदिवस से संबंधित इस तिथि में खास नक्षत्र पड़ने से व्रत करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इसे पूरे भारत में विशेषकर महाराष्ट्र में मनाई जाती है। हर मास आने वाली गणेश चतुर्थी का भी शास्त्रों में विशेष महत्व है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि गणेश चतुर्थी हर मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस तिथि में व्रत करने से सभी विघ्न भगवान गणेश हर लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी भी शनिवार को विशेष नक्षत्र में पड़ी। इसका अपना अलग महत्व है। डॉ. शास्त्री के अनुसार विशाखा नक्षत्र में चतुर्थी के आने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसके लिए उन्होंने व्रत रखकर विशेष पूजा अर्चना को भी बताया है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दुर्वा (घास) और मोदक (लड्डू) चढ़ाने चाहिए। इससे सभी मनोरथ पूरे होते हैं और सभी पापों का विनाश होता है।
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