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शिव ही सत्य है

शव ही सत्य है वही सत्यता का बोध कराते हैं। उन्हें समझने के लिए सबसे पहले खुद को समझना पड़ता है।

By Edited By: Published: Thu, 17 May 2012 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 17 May 2012 05:38 PM (IST)
शिव ही सत्य है

आजमगढ़। शिव ही सत्य है वही सत्यता का बोध कराते हैं। उन्हें समझने के लिए सबसे पहले खुद को समझना पड़ता है। जहां हम खुद को समझ लिए वहीं हमें इस परमपिता परमेश्वर का दीदार करने का मौका मिल जायेगा। यह कहना है मानस के मर्मज्ञ विद्वान बाल व्यास कौशल किशोर जी महाराज का। उन्होंने उपस्थित कथा प्रेमियों को शिव महिमा के बारे में बता रहे थे। कथा वाचक श्री किशोर ने कहा कि देवाधिदेव महादेव का चरित्र ही सफलता का महा अनंत उदाहरण है। यह एक ऐसे देवता हैं जिनकी उपासना देव, दानव, नर, गंधर्व सभी करते हैं। बाबा अपने भक्तों की हर पुकार को सुनते हैं और उसकी श्रद्धा के अनुसार शीघ्र फल भी देते हैं। उन्होंने एक कथा का वर्णन करते हुए बताया कि देवर्षि नारद जी ने जब भगवान शिव से पूछा कि आप अहर्निश होते हुए भी श्मसान पर वास क्यों करते हैं तो भगवान शिव ने कहा कि हे नारद मानव जीवन सही और बुरे के ज्ञान के लिए दिया गया है लेकिन लोग जीवन को ही सत्य मानकर मानवीय भूल करते रहते हैं। ईश्वर की शरण छोड़ सांसारिक भोग विलास के जीवन में वह अपने को समाहित कर देते हैं। इसके कारण जीव का पतन हो जाता है। इस पतन से बचाने के लिए हमें श्मसान पर वास करना पड़ता है। कहने का तात्पर्य है कि श्मसान ही एक ऐसा स्थल है जहां रुककर सत्यता को हम आसानी से समझ सकते हैं। इसी स्थान पर श्रीराम के नाम का गुणगान होता है इसलिए में उस नाम को सुनने के लिए यहां वास करता हूं।

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