पिय प्यारी नित झूला झूले ..
अयोध्या। पिय प्यारी नित झूला झूलें। अलिंगन झमकि झुलावनि, घन गरजनि चमकनि दामिनिया, मोरवा बोल सुनावन। यह बोल हैं सावन झूला मेला की दूसरी संध्या पर प्रमुख मंदिर कनक भवन में हुए झूलनोत्सव का।
अयोध्या। पिय प्यारी नित झूला झूलें।
अलिंगन झमकि झुलावनि, घन गरजनि चमकनि दामिनिया, मोरवा बोल सुनावन। यह बोल हैं सावन झूला मेला की दूसरी संध्या पर प्रमुख मंदिर कनक भवन में हुए झूलनोत्सव का। झूलनोत्सव के इस पद पर उपस्थित संत-महंतों सहित श्रद्धालुओं का समूह घंटों मंत्रमुग्ध रहा। भव्य झूलनोत्सव में विराजमान सफेद रंग के वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित भगवान भगवान श्रीसीताराम के भव्य विग्रहों का दर्शन कर श्रद्धालुओं का समूह आनंदित होता रहा। संतों-श्रद्धालुओं ने गायन-वादन व नृत्य की त्रिवेणी के बीच अपनी आस्था निवेदित की।
श्रीरामवल्लभाकुंज में चांदी के विशाल झूलन पर भगवान श्रीराम-जानकी का विगह सावन पूर्णिमा तक के लिए विराजमान कर दिया गया है। इसकेसाथ-साथ भगवान रासबिहारी, लाल साहब व मधुर लाल साहब की प्रतिमाएं झूले पर विराजमान होकर श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींच ले रही थीं।
पीठ के महंत रामशंकर दास के सानिध्य में हुए समारोह की व्यवस्था अधिकारी राजकुमार दास की देखरेख में हुई। दशरथ महल में विंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य की अध्यक्षता में समारोह पूरे रौ में रहा। पीठ में अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास रामायणीं द्वारा झूलनोत्सव का पद दोउ मुख चंद्र चकोर होई, निरखि निरखि दोउ झूले। गाकर भगवान की वंदना की गई। आचार्य पीठ लक्ष्मण किला में महंत मैथिलीरमण शरण की देखरेख में भगवान श्री लक्ष्मण के दरबार को सजाया गया था। श्री जानकी महल ट्रस्ट में प्रबंधक नरेश पोद्दार व युगल विनोद कुंज में महंत रामेश्वरशरण रामायणी की देखरेख में झूलनोत्सव का आकर्षण बना हुआ है।
हनुमत किला गहोई मंदिर में पीठ के पुजारी रामलखन शरण गहोई की देखरेख में उत्सव में मध्य प्रदेश सहित कई प्रांतों के श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस मंदिर के झूलन पर भगवान श्रीराम जानकी के साथ-साथ श्री लक्ष्मण व हनुमान भी झूले पर विराजमान हैं। पीठ की यह परंपरा झूला मेले में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। सियाराम किला में महंत करुणानिधान शरण की देखरेख में पीठ की परंपरा के तहत मधुरोपासना का रंग झूलनोत्सव में और चटख हो उठा है।
रंगमहल में महंत रामशरण दास की देखरेख में उत्सव शिखर पर है। उन्होंने बताया कि झूलन के द्वारा हम संत भगवान श्रीसीताराम को अपनी आस्था व भक्ति निवेदित करते हैं।
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