बांधों से गंगा के प्रवाह को खतरा
गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए हो रही कवायद पर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सवाल उठाए हैं। कुंभनगरी पहुंचे आचार्य ने कहा कि महानदी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की नीयत में खोट है।
कुंभनगर [ज्ञानेन्द्र सिंह]।गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए हो रही कवायद पर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सवाल उठाए हैं। कुंभनगरी पहुंचे आचार्य ने कहा कि महानदी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की नीयत में खोट है। गंगा मुक्ति संग्राम के संयोजक आचार्य ने अविरल-निर्मल के लिए राष्ट्रीय गंगा एक्ट और राष्ट्रीय गंगा आयोग गठित किए जाने की मांग उठाई है। इसके लिए वह जल्द ही प्रधानमंत्री और गंगा बेसिन अथारिटी के मुखिया मनमोहन सिंह से मुलाकात अपने एजेंडे से अवगत कराएंगे।
सम्भल स्थित कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद ने कहा कि लगभग तीन दशक से हजारों करोड़ रुपए पानी में बहा देने के बाद भी गंगा से प्रदूषण नहीं दूर हो सका। केंद्र और राज्य सरकारों की नीयत स्पष्ट न होने से गंगा प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। गंगा रीवर बेसिन अथारिटी गठित होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने गोमुख से निकलने वाली भागीरथी नदी पर देव प्रयाग तक 120 किमी तक तो इको सेंसटिव जोन घोषित कर गंगा पर बांध न बनाने का फैसला लिया है मगर दूसरी ओर गंगा में मंदाकिनी और अलकनंदा पर नए 39 बड़े बांध प्रस्तावित कर दिए गए। अभी उत्तराखंड में गंगा पर नौ बांध हैं। इससे गंगा का प्रवाह बाधित और गंगा में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रवाह से ही गंदगी दूर हो सकती है। कहा कि गंगा रीवर बेसिन अथारिटी के चेयरमैन प्रधानमंत्री हैं। उनकी व्यस्तता जायज है, इसलिए गंगा के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाए। इसके साथ ही राष्ट्रीय नीति और गंगा आयोग घोषित हो और गंगा एक्ट बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय ध्वज को नुकसान पहुंचाने वाले को दंडित किए जाने का प्रावधान है उसी तरह राष्ट्रीय नदी में प्रदूषण फैलाने वाले के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई किए जाने के लिए कड़ा कानून बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा के लिए सभी संतों को निजी स्वार्थ छोड़ना होगा और एक मंच पर खड़ा होना पड़ेगा तभी गंगा अविरल और निर्मल हो सकेंगी।
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