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जय गुरुदेव: अपनी नीति और अपनी ही रीति

जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट की अपनी नीति है और अपनी ही रीति। अब क्या होगा? कैसे होगा? अनुयाइयों के ठहरने, खाने का इंतजाम कहां-कहां कैसे किया जाये? थोड़ी देर तक मंथन और अगले ही पल हुआ निर्णय।

By Edited By: Published: Mon, 21 May 2012 11:36 AM (IST)Updated: Mon, 21 May 2012 11:36 AM (IST)
जय गुरुदेव: अपनी नीति और अपनी ही रीति

मथुरा। जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट की अपनी नीति है और अपनी ही रीति। अब क्या होगा? कैसे होगा? अनुयाइयों के ठहरने, खाने का इंतजाम कहां-कहां कैसे किया जाये? थोड़ी देर तक मंथन और अगले ही पल हुआ निर्णय। और फिर संस्था चल पड़ी अपने मकसद और मुकाम की ओर। हां, उत्तराधिकारी को लेकर इस बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई। शनिवार प्रात: करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट और संगत की बैठक में इस मसले पर खासकर चर्चा हुई। बैठक में बाबा के अंतिम दर्शन के लिये यहां आ रहे अनुयायियों को ठहराने के लिये करीब एक दर्जन बड़े पंडाल और ढाई सौ के आसपास छोटे-छोटे डेरे बनवाने का निर्णय लिया गया। टेंट वालों को बुलाकर यह कार्य शुरू भी करा दिया गया। कहा गया कि अनुयायी किसी भी राज्य या जनपद के भंडारे में जाकर भोजन कर सकते हैं। बाबा के प्रमुख अनुयायियों में से एक संतराम चौधरी के अनुसार, अभी बाबा के उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय नहीं लिया गया है। बाबा का अंतिम संस्कार 21 मई को दोपहर बाद मंदिर परिसर में ही कहीं किया जायेगा। बाबा को श्रद्धाजंलि अर्पित करने आये सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने उत्तराधिकारी के सवाल पर कहा कि संस्था के सेवक निर्णय लेने में खुद सक्षम हैं।

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