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घर-घर पहुंचे महादेव

देश की जितनी आबादी है, उससे कहीं ज्यादा पार्थिव शिवलिंग अब तक बनाए जा चुके हैं। 31 मार्च तक देश में जन्म लेने वाले हर बच्चे के नाम पर एक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण अब तक हो चुका है। यह कहना था प्रख्यात सिने कलाकार आशुतोष राणा का।

By Edited By: Published: Fri, 24 Feb 2012 01:24 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2012 01:24 AM (IST)
घर-घर पहुंचे महादेव

वाराणसी, जागरण संवाददाता। देश की जितनी आबादी है, उससे कहीं ज्यादा पार्थिव शिवलिंग अब तक बनाए जा चुके हैं। 31 मार्च तक देश में जन्म लेने वाले हर बच्चे के नाम पर एक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण अब तक हो चुका है। यह कहना था प्रख्यात सिने कलाकार आशुतोष राणा का। पं.देव प्रभाकर शास्त्री दद्दाजी की अगुवाई में मैदागिन स्थित टाउनहॉल मैदान पर सात दिवसीय सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण यज्ञ के अंतिम दिन पूर्णाहुति के अवसर पर विचार व्यक्त कर रहे राणा ने कहा कि इसके साथ ही अब काशी में गुंजायमान हर हर महादेव घर घर के महादेव हो गए हैं। उन्होंने इस दौरान हर महाशिवरात्रि पर काशी में पार्थिव शिवलिंग निर्माण यज्ञ आयोजित करने की भी बात कही। मध्यप्रदेश के गृहस्थ संत पं. देवप्रभाकर शास्त्री के सानिध्य में टाउनहाल मैदान पर सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण यज्ञ का 17 से 23 फरवरी के बीच आयोजन किया गया। गुरुवार को कार्यक्रम का अंतिम दिन था। पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिए निर्धारित सवा करोड़ की संख्या दो दिन पहले ही पूरी हो जाने के बाद भी शिवलिंग निर्माण का कार्य बदस्तूर जारी रखा गया था। अंतिम दिन भी पंडाल में पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे रहे। पंडाल में सुबह से ही भगवान भोलेनाथ के प्रति काशीवासियों की आस्था हिलोरे लेते स्पष्ट दिख रही थी। बाल वृद्ध सभी पार्थिव शिवलिंग निर्माण व पूजन में लगे रहे। इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही अलग अलग प्रदेशों से आए शिष्य भी शामिल रहे। कई स्कूलों के बच्चों ने भी अंतिम दिन पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अपने जीवन को धन्य बनाया। इस दौरान करीब 22 लाख पार्थिव शिवलिंग बनाए गए। इसके साथ ही सात दिवस में इस यज्ञ में कुल दो करोड़ 41 लाख 76 हजार शिवलिंगों का निर्माण किया गया। यह पूर्व निर्धारित संख्या के दोगुने से भी अधिक रहा। कार्यक्रम में प्रख्यात सिने कलाकार राजपाल यादव, संतोष उपाध्याय, कृष्णमुरारी आदि मौजूद थे। गंगा मठ, मृत्युंजय महादेव आदि विभिन्न संस्थाओं की ओर से दद्दा का सम्मान किया गया।

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ईश्वर का ध्यान जरूरी, विधि विधान नहीं : पार्थिव निर्माण व पूजन के साथ ही गुरुवार को श्रीमद भागवत कथा पर दद्दाजी के प्रवचन का भी अंतिम दिन था। दोपहर करीब सवा 12 बजे प्रारंभ इस प्रवचन में दद्दा ने परीक्षित के गोलोक गमन की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि ईश्वर का किसी भी रूप में ध्यान करना जरूरी है। इसमें किसी विशेष विधि विधान की जरूरत नहीं है। उन्होंने राम की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान भोलेशंकर अपने गले में इन्हीं दो अक्षरों को धारण करते हैं इसलिए उन्हें हलाहल विष पीने में भी कोई समस्या नहीं होती। दद्दा ने कहा कि मनुष्य में पांच कर्मेन्द्रियां हैं और पांच ही ज्ञानेन्द्रियां हैं। अच्छे कर्मो को करते रहना चाहिए। इससे काम, क्रोध, मद, लोभ आदि दुर्गुणों से होने वाली समस्या स्वत: ही समाप्त हो जाती है।

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