राष्ट्रीयता की भावना जगाए भारत माता मंदिर
हिसार में बने हरियाणा के प्रथम भारत माता मंदिर में स्थापित अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं मंदिर के धार्मिक वातावरण को स्वत: ही दर्शाती हैं। गणेश, पंचमुखी हनुमान, राम दरबार, राधा-कृष्ण, श्याम बाबा, मां दुर्गा, गोमाता, भारत-माता, गंगा माता, शनि देव व शिव परिवार की मूर्तियां सबको भाव-विभोर करती हैं। मंदिर के भ्रमण से मन को शांति तो मिलती ही है, साथ ही मातृभूमि के लिए सम्मान की भावना व राष्ट्रभावना भी बढ़ती है।
जिस देश की धरती पर हमने जन्म लिया वह धरा जन्मदात्री के बराबर है। इसका आदर, सम्मान व रक्षा करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है। भारत भूमि और मातृभूमि भारत माता के ही पर्याय हैं। यह वही भारत माता है जिसके न जाने कितने सपूत इसकी आजादी के लिए कुर्बान हो गए।
इस भूमि पर जन्म लेने और कर्म करने के कारण जन्मभूमि और कर्मभूमि भी यही भारत माता है। भारत हमारी मातृभूमि है, जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ भूमि है। यह कर्मभूमि है इसलिए देवता इस भूमि पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। देवों ने जिसकी आराधना की, वेदों में उत्तरं यत्समुन्द्रस्य हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्। वर्ष तदभारतं नाम भारती यत्र सन्तति।। के रूप में जिसका उल्लेख किया, महर्षि अरविंद ने विश्व की जननी के रूप में जिसकी पूजा की, रविन्द्र नाथ ठाकुर ने द्वि भुवन मनमोहनी कहकर जिसकी वंदना की, बंकिमचन्द्र चटर्जी ने वंदे मातरम् कहकर जिसकी पूजा की, जिसका जयघोष कर असंख्य वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर मां भारती को दास्तां की बेडि़यों से मुक्त करवाया, जिसको प्रभु श्रीराम ने जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी कहकर स्वर्ग से बढ़कर बताया, वही देव भूमि, मोक्ष भूमि और मातृभूमि आज बेबस और लाचार होकर रह गई है। राष्ट्रभाव की कमी सर्वत्र दिखाई पड़ रही है, जीवन मूल्यों का पतन पराकाष्ठा पर है, देवालय केवल मनोकामना व मोक्ष प्राप्ति तक ही सीमित होकर रह गए हैं। ऐसे में देव आराधना के साथ-साथ राष्ट्र भाव को जगाने के लिए स्व. फतेहचंद की धर्मपत्नी हरबंस कौर ने पति की स्मृति में हिसार स्थित एम.सी. कॉलोनी में भारत माता मंदिर निर्माण हेतु भूखंड प्रदान करके भावी पीढ़ी को राष्ट्र के प्रति समर्पण की प्रेरणा दी और भारत माता ट्रस्ट का निर्माण करके मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करने में
अहम भूमिका निभाई।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के कर कमलों द्वारा 15 अप्रैल 2006 को राष्ट्र निर्माण के स्तंभ भारत माता मंदिर का शिलान्यास किया गया। हिसार में बनने वाले हरियाणा के प्रथम भारत माता मंदिर का निर्माण कार्य 23 जुलाई 2006 को महामंडलेश्वर संतोषी माता के कर कमलों से प्रारंभ हुआ। 7 जनवरी 2009 को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंदगिरी महाराज व गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने भारत माता मंदिर का लोकार्पण किया।
मंदिर में 23 भव्य प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई है जिनमें गणेश, पंचमुखी हनुमान, राम-दरबार, लक्ष्मीनारायण, राधा-कृष्ण, श्याम बाबा, मां दुर्गा, गोमाता, भारत-माता, गंगा माता, शनि देव, शिव परिवार, सिंदूरी हनुमान की प्रतिमाएं शामिल हैं। भारत के सनातन सांस्कृतिक जीवन मूल्यों, आदर्शो व परंपराओं की रक्षा करना ही भारत माता मंदिर का ध्येय है।
मंदिर की ओर से चलाए जा रहे नि:शुल्क चिकित्सा केंद्र का अनेक श्रद्धालु लाभ उठा रहे हैं। योग क्रियाओं को अपनाकर भी अनेक लोग योग में रुचि ले रहे हैं। मंदिर में प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श कैंप, गोसेवा उपचार सूचना केंद्र, शनि भंडारा, नि:शुल्क सिलाई केंद्र, प्रत्येक शनिवार, रविवार और मंगलवार को साप्ताहिक सत्संग, रामकथा, श्रीमद्भागवत कथा, सत्संग, हवन, संतों के प्रवचन व अन्य सेवा कायरें का आयोजन लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। भारत माता मंदिर द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के लिए एम.सी. कॉलोनी में भारत माता त्रिवेणी पार्क को गोद लेना व उसके रखरखाव का कार्य करना हर नागरिक को पर्यावरण के प्रति उसके नैतिक कर्त्तव्य को दर्शाता है। भारत माता मंदिर की ओर से प्रतिवर्ष उड़ीसा में वनवासियों की सहायतार्थ वस्त्र व सामग्री भी भेजी जाती है जो अपने आप में परोपकार की मिसाल है। जन्माष्टमी के पर्व पर बच्चों में संस्कार बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम भी सराहनीय हैं। भारत माता मंदिर का भ्रमण करने से मन को आध्यात्मिक शांति तो मिलती ही है साथ ही मातृभूमि के लिए सम्मान की भावना व राष्ट्रभावना भी बढ़ती है।
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