रोली-चंदन और फल-फूल किए मां को अर्पित
स्कंदमाता को समर्पित वासंतिक नवरात्र का पांचवां दिन। मंदिरों में लगी रही भक्तों की कतार। श्रद्धालुओं ने मां को सुहाग सामग्री, चुनरी, रोली-चंदन, नारियल और फल-फूल अर्पित किए।
लखनऊ। स्कंदमाता को समर्पित वासंतिक नवरात्र का पांचवां दिन। मंदिरों में लगी रही भक्तों की कतार। श्रद्धालुओं ने मां को सुहाग सामग्री, चुनरी, रोली-चंदन, नारियल और फल-फूल अर्पित किए।
चौक स्थित बड़ी और छोटी काली जी मंदिर में मां के दर्शन के लिए उमड़े भक्तों का हुजूम देखते ही बन रहा था। चौपटिया स्थित संदोहन मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी रही। भक्तों ने मां को चुनरी चढ़ाई और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना की। मेंहदीगंज स्थित शीतला माता मंदिर के पास मेला लगा रहा। छितवापुर स्थित भुइयन देवी मंदिर के अंदर और बाहर एक सी रौनक थी। दर्शन के बाद भक्तों ने जमकर खरीदारी की और मेले का आनंद उठाया। गणेशगंज स्थित मां दुर्गा मंदिर में प्रात: पांच बजे मंगला आरती हुई। उसके बाद आठ बजे प्रात: कालीन आरती हुई। माता को मिष्ठान का भोग लगा। घसियारी मंडी स्थित कालीबाड़ी मंदिर में मां की महाआरती हुई। दुर्गा मंदिर, शास्त्रीनगर में भक्तजनों ने ज्वाला देवी से लाई ज्योति के दर्शन किए। मखाना और मेवे से मां का श्रृंगार किया गया। संतोषी माता के मंदिर में भी भक्तगण दर्शन को उमड़े। आलमबाग स्थित मौनी बाबा मंदिर में सुहागिनों ने मंदिर प्रांगण आराधना की। कृष्णा नगर के मां शक्ति निवास मंदिर, सैसोवीर मंदिर, इंद्रेश्वर मंदिर और हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना हुई। उदयगंज स्थित सिद्धेश्वर मंदिर, तालकटोरा के शिव मंदिर मानस नगर के तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर में भक्तों ने मां का वंदन किया। ठाकुरगंज के बाघंबरी सिद्धपीठ मां पूर्वी एवं महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ यज्ञ का आयोजन किया गया। भजन कीर्तन और आरती हुई।
मांग की: श्री सांई सेवाश्रम द्वारा बख्शी का तालाब स्थित चंद्रिका देवी में नवरात्र के दिनों के लिए दर्शन के समय में परिवर्तन कर पुरानी व्यवस्था बहाल की जाए। सेवाश्रम के अध्यक्ष चंद्र कुमार छाबड़ा एवं महासचिव डॉ. अर्चना ने बताया कि पुरानी व्यवस्था के अनुसार मंदिर रात्रि में सिर्फ दो घंटे बंद रहता था, लेकिन यह व्यवस्था अब खत्म कर दी गई है। बिना किसी पूर्व सूचना के ऐसा करना भक्तजनों को निराश कर रहा है।
भुइयन देवी मंदिर
राजाजीपुरम एफ ब्लॉक स्थित भुइयन देवी मंदिर। जनश्रुति है कि उक्त स्थान पर गांव हुआ करता था। नीम का दौ सौ वर्ष पुराना पेड़ था। पेड़ के पास खोदाई में कुछ खास आकृति वाले आठ पत्थर मिले। आकृति में देवी रूप परिलक्षित होता है। बाद में इन्हें स्थापित कर दिया गया। पहले छोटा मंदिर बनाया गया, धीरे-धीरे मंदिर का स्वरूप वृहद होता गया।
पुजारी संजय कुमार ने बताया कि मंदिर की विशेष मान्यता है, जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। लोग मन्नत मांगते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धानुसार चढ़ावा चढ़ाते हैं।
मंदिर का भव्य स्वरूप श्रद्धालुओं के सहयोग का ही परिणाम है। नवरात्र में प्रतिदिन आठ बजे प्रात: कालीन आरती, चार से छह बजे तक महिला कीर्तन, आठ बजे से सामूहिक आरती और कीर्तन होता है। नवमी को भंडारा होता है। आज भी मंदिर में वही प्राचीन पत्थर स्थापित हैं। दुर्गा जी की भव्य प्रतिमा के साथ ही राधा कृष्ण, राम दरबार और लक्ष्मी नारायण हनुमान जी गणेश जी के दर्शन भी कर सकते हैं।
संदोहन देवी मंदिर
चौपटिया चौराहा स्थित संदोहन देवी मंदिर। मंदिर कितना पुराना है, इसकी सही जानकारी तो किसी के पास नहीं, लेकिन जनश्रुति है कि यह 200 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन है। मंदिर के पीछे जो कुंड बना है उसे पाताल तोड़ कुआं था। उक्त स्थान पर बाबा लोग रहते थे, जिनकी समाधि आज भी वहीं बनी हुई है।
माना जाता है कि सैकड़ों वर्ष यहां पहले माता की एक छोटी मूर्ति निकली थी। बाद में मंदिर का निर्माण हुआ। माता की वह छोटी मूर्ति आज भी मंदिर में स्थापित है।
यूं तो हर दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र में इनकी संख्या बढ़ जाती है। एकादशी के दिन विशेष आयोजन किया जाता है। वर्ष में दो बार एकादशी के दिन मां के चरणों के दर्शन का मौका मिलता है।
पुजारी कमलेश ने बताया कि नवरात्र के नौ दिन मंदिर अपराह्न एक से दो बजे तक बंद रहता है, बाकी समय मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुले रहते हैं। अष्टमी के दिन फल वितरण होता है। एकादशी को पेठा बांटा जाता है।
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