कृष्ण धाम में मिले सेवा-सद्भाव का पयाम
कुरुक्षेत्र में रेलवे रोड़ पर गुरुद्वारा छठी पातशाही के समीप सन्निहित तीर्थ के उत्तर में स्थित श्रीकृष्ण धाम सेवा, सद्भावना व ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इस धाम में प्रतिष्ठित वासुदेव श्रीकृष्ण के अलावा शिवशंकर भोलेनाथ एवं पवनपुत्र हनुमान की आदमकद मूर्तियां श्रद्धालुओं को सहज ही आकृष्ट करती हैं।
भारतवर्ष में विभिन्न धर्मो के लोग रहते हैं। यहां श्रद्धालु अपने हर आराध्य का अस्तित्व मानते हैं और उनमें आस्था रखते हैं, इसलिए उनकी निराकार व साकार रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। वासुदेव श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों की आराधना भी हरियाणाभर में की जाती है।
हरियाणा की पवित्र धरा कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र व इसके आसपास के क्षेत्र में श्रीकृष्ण के अनेक धार्मिक स्थल बने हैं। कुरुक्षेत्र में रेलवे रोड पर गुरुद्वारा छठी पातशाही के समीप सन्निहित तीर्थ के उत्तर में स्थित श्रीकृष्ण धाम श्रीकृष्ण के आकर्षक धार्मिक स्थलों में शुमार है। इस धाम में वासुदेव श्रीकृष्ण के अलावा शिवशंकर भोलेनाथ एवं पवनपुत्र हनुमान की आदमकद मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। धाम के अंदर ही धर्मशाला के साथ-साथ आंखों का अस्पताल व पाठशाला भी बने हैं जो जगसेवा के परिचायक बने हुए हैं। श्रद्धालु यहां सद्भाव से आते हैं और दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहते हैं। वास्तव में श्रीकृष्ण धाम में सेवा एवं सद्भाव का पयाम मिलता है।
श्रीकृष्ण धाम का निर्माण पूर्णचंद अरोड़ा ने अपने पिता संतराम अरोड़ा की स्मृति में आचार्य महामंडलेश्वर त्याग मूर्ति स्वामी गणेशानंद की सद्प्रेरणा और आशीर्वाद से करवाया। श्रीकृष्ण धाम के मंदिर की मूर्तियां बड़ी सुंदर और भव्य हैं। हर रोज अनगिनत श्रद्धालु इनके दर्शन करके पूजा-अर्चना करते हैं। श्रीकृष्ण धाम में एक सत्संग हाल बना है जिसमें समय-समय पर प्रसिद्ध कथावाचक और विद्वान पधारकर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। अब तक यहां डोगरे महाराज, आनंदमयी मां, चंद्रा स्वामी, दीन दयालु महाराज एवं सुखदेवाचार्य पधारकर यज्ञों का आयोजन कर चुके हैं।
श्रीकृष्ण धाम में स्थित आंखों के अस्पताल में निशुल्क इलाज किया जाता है। यहां कार्यरत डॉ. वरुण बवेजा का कहना है कि यहां निशुल्क शिविर भी लगाए जाते हैं। यहां बनी धर्मशाला में 107 कमरे हैं। श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो इसलिए कमरों को सुविधा-संपन्न किया गया है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु यहां स्थित पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।
श्रीकृष्ण धाम में संस्कृत पाठशाला भी है जिसमें प्राज्ञ, विशारद व शास्त्री की शिक्षा दी जाती है। छात्र और छात्राओं को अलग-अलग पढ़ाया जाता है। प्रमोद कौशिक और ताराचंद शास्त्री को संस्कृत पाठशाला का जिम्मा सौंपा गया है। वे संस्कृत पढ़ाने के अलावा विद्यार्थियों को वेदों का ज्ञान भी करवाते हैं। यह पाठशाला भारतीय संस्कृति को उबारने में विशिष्ट योगदान दे रही है। यहां विशिष्ट अवसरों पर भंडारों का आयोजन होता है।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर यहां मेले जैसा माहौल रहता है। इस अवसर पर यहां विशिष्ट प्रबंध किए जाते हैं।
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