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हनुमान मंदिर की बढ़ी मान्यता

हरियाणा के रेवाड़ी का अतीत बड़ा वैभवशाली रहा है। यह प्राचीन शहर अपने आंचल में स्वर्णिम अतीत

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2012 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2012 11:42 AM (IST)
हनुमान मंदिर की बढ़ी मान्यता

हरियाणा के रेवाड़ी का अतीत बड़ा वैभवशाली रहा है। यह प्राचीन शहर अपने आंचल में स्वर्णिम अतीत समेटे हुए है। यह नगर प्राचीनकाल में न केवल राजनैतिक बल्कि कला, साहित्य, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा है। यहां पर हेमू की हवेली, राव तुलाराम का महल, रानी की ड्योढ़ी, तेज सरोवर, हनुमान मंदिर एवं घंटेश्वर मंदिर आदि रेवाड़ी की प्राचीन भव्यता एवं स्वर्णिम इतिहास के साक्षी हैं।

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अठारहवीं सदी में बने विशाल तालाब तेज सरोवर पर बाबा हनुमान का प्राचीन मंदिर स्थित है। देखने में तो यह मंदिर केवल डेढ़ सौ वर्ग गज भूमि पर बना है लेकिन वीर हनुमान की अपार कृपा के कारण यहां मंदिर परिसर में रोजाना भक्तजनों का जमावड़ा लगा रहता है। मंदिर की प्राचीनता तेज सरोवर के समान है। मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा, आस्था और विश्वास की त्रिवेणी की बात करें तो यहां न केवल आस-पास के श्रद्धालु ही पूजा-अर्चना करने और मुराद मांगने आते हैं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग मंदिर में हनुमान के दर्शनार्थ आते हैं।

माना जाता है कि पवनपुत्र हनुमान का भक्त राजस्थान से दिल्ली हनुमान की मूर्ति बैलगाड़ी में रखकर ले जा रहा था। वह भक्त रेवाड़ी के तेज सरोवर पर पहुंचा तो आराम करने के बाद जब वह जाने लगा तो बैलगाड़ी टस से मस भी नहीं हुई। उसने बैलों को खूब पीटा पर बैल हिले तक नहीं, तब उस श्रद्धालु ने हनुमान की मर्जी जानकर यहीं पर मूर्ति को स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक रामभक्त हनुमान की यह मूर्ति आस्था का केंद्र बनी हुई है। श्रद्धा, आस्था और विश्वास की त्रिवेणी के निरंतर बहने के कारण ही बड़ के नीचे स्थापित मूर्ति के स्थान पर आज एक सुंदर मंदिर विराजमान है। मूर्ति स्थापना से लेकर आज तक इस मंदिर की रेख-देख महंत परिवार करता आ रहा है। मंदिर के पुजारी पंडित नरेंद्र शर्मा बताते हैं कि इस मंदिर में हनुमान की दो मूर्तियां हैं। यदि छोटी वाली मूर्ति के अंगूठे पर किसी भक्त द्वारा चढ़ाया गया गोला-कुंजा ठहर गया तो समझो उसकी नैया बजरंगी अवश्य पार लगाते हैं। इसके अलावा सिंदूर भी चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि बूंदी का प्रसाद और गोले-कुंजे आदि को भक्तिभाव से ओत-प्रोत होकर हनुमान की मूर्ति पर चढ़ाकर जो मन्नत मांगता है तो बाबा उसे खाली हाथ नहीं जाने देते। इसलिए हर मंगलवार बड़े तालाब पर स्थित हनुमान मंदिर में दूर-दूर से भक्तजन आकर प्रसाद ओर ध्वजा चढ़ाते हैं। इस प्राचीन मंदिर में हरियाणा के अलावा दिल्ली, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और आंध्रप्रदेश के साथ-साथ दुबई, जापान और अमेरिका से भी भक्तजन मन्नत मांगने आते हैं। मंदिर में मंगलवार को भजन-कीर्तन और भंडारा होता है जबकि हर रविवार को रामायण पाठ होता है। सबसे मनोहारी दृश्य तो हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। बाबा की सुंदर झांकी निकाली जाती है।

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