जैन संतों की सज-धजकर निकली पदयात्रा
आचार्य वर्धमान सागर के नेतृत्व में काशी आए 29 संतों ने रविवार को मैदागिन दिगंबर जैन मंदिर से पदयात्रा शुरू की। इसमें शामिल 16 साधु व 13 आर्यिकाओं के पीछे विभिन्न प्रांतों से आए भक्तों का हुजूम ध्वज, झंडी व संदेश लिखे वाहन लिए चल रहा था। भजन कीर्तन, मंत्र पाठ और जयकारे लग रहे थे। जैन मतवलंबियों ने अपने घरों के सामने रंगोली सजा ससंघ की आरती उतारी।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। आचार्य वर्धमान सागर के नेतृत्व में काशी आए 29 संतों ने रविवार को मैदागिन दिगंबर जैन मंदिर से पदयात्रा शुरू की। इसमें शामिल 16 साधु व 13 आर्यिकाओं के पीछे विभिन्न प्रांतों से आए भक्तों का हुजूम ध्वज, झंडी व संदेश लिखे वाहन लिए चल रहा था। भजन कीर्तन, मंत्र पाठ और जयकारे लग रहे थे। जैन मतवलंबियों ने अपने घरों के सामने रंगोली सजा ससंघ की आरती उतारी।
ग्वालदास साहू लेन स्थित पंचायती दिगंबर जैन मंदिर में अल्प पड़ाव के बाद सोराकुंआ, ठठेरी बाजार, चौक, गोदौलिया, रामापुरा होते भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पहुंची। यहां 51-51 महिलाओं के समूह ने शहनाई की मंगल ध्वनि से स्वागत और पाद प्रछालन किया। काशी में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आए जैन साधु व आर्यिकाओं का श्रद्धालुजनों ने दर्शन किया। अपराह्न में मुनि संघ ने आहारचर्या व सामायिक (ध्यान) किया। कोलकाता-सम्मेद शिखर (गिरीडीह) होते 7000 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद यहां तीर्थयात्री संतों के पहुंचने की सूचना के बाद शनिवार को ही प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ ही बिहार, बंगाल, सेलम, कर्नाटक से भक्तजन जुटे हैं। धर्मोपदेश देते हुए आचार्य वर्धमान सागर ने कहा कि संसारी लोग धन प्राप्ति की इच्छा रखते हैं लेकिन असली धन समताभाव प्राप्त हो जाने से सारे दुख मिट जाते हैं। अपरिग्रह को अपनाकर ही जीवन का असली आनंद लिया जा सकता है। जो आनंद वस्तुओं को छोड़ते जाने में है, जोड़ने में नहीं है। मंदिर के मंत्री निशांत जैन ने आरती उतारी। समाज के प्रधानमंत्री राजेश जैन ने स्वागत, अध्यक्षता दीपक जैन व संचालन वीके जैन ने किया।
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