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हार की कहानी, वीरू की जुबानी

कप्तान धौनी से टीम इंडिया के कार्यवाहक कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने भले ही कुछ सीखा हो या ना सीखा हो लेकिन बहाने सुनाने की कला बखूबी सीख ली है। टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद वीरू ने सिर्फ और सिर्फ अपनी टीम का बचाव किया या फिर वो मीडिया के आगे अपनी छवि बनाए रखने की खातिर गिड़गिड़ाते नजर आए।

By Edited By: Published: Sat, 28 Jan 2012 04:49 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2012 04:49 PM (IST)
हार की कहानी, वीरू की जुबानी

एडिलेड। कप्तान धौनी से टीम इंडिया के कार्यवाहक कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने भले ही कुछ सीखा हो या ना सीखा हो लेकिन बहाने सुनाने की कला बखूबी सीख ली है। टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद वीरू ने सिर्फ और सिर्फ अपनी टीम का बचाव किया या फिर वो मीडिया के आगे अपनी छवि बनाए रखने की खातिर गिड़गिड़ाते नजर आए।

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एडिलेड ओवल में टीम के 298 रन की शिकस्त के साथ सीरीज 0-4 से गंवाने के बाद सहवाग ने प्रशंसकों और मीडिया से अपील की कि वे उस समय टीम का समर्थन करें जब वे मुश्किल में हैं। पिछले साल इंग्लैंड के बाद अब आस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त के साथ लगातार दो विदेशी सीरीज के क्लीनस्वीप के बाद सहवाग ने कहा, अगर आप देखो तो आस्ट्रेलिया के साथ भी ऐसा ही हुआ, वे एशेज हार गए और दक्षिण अफ्रीका में सिर्फ 47 रन पर ढेर हो गए। यह प्रत्येक टीम के साथ होता है। भारत के कार्यवाहक कप्तान ने कहा, वे [प्रशंसक और मीडिया] हमारे प्रदर्शन से नाराज होंगे, मैं इससे सहमत हूं। लेकिन यह ऐसा समय है जब प्रशसंकों को टीम और खिलाडि़यों का समर्थन करना चाहिए। यह ऐसा समय है जब हमें प्रशंसकों के समर्थन की जरूरत है और सभी को टीम का समर्थन करना चाहिए। सहवाग ने कहा, जब हमने विश्व कप जीता तो सभी खुश थे और टीम इंडिया का उत्साह बढ़ा रहे थे। इस समय हमें समर्थन की जरूरत है। सभी मीडिया ऐसा करता है, भले ही वह इंग्लैंड हो, दक्षिण अफ्रीका या आस्ट्रेलिया। वे इस तरह से आलोचना करते हैं कि खिलाडि़यों का मनोबल नहीं गिरे। वे इस तरह से आलोचना नहीं करते कि लेख पढ़ने और टीवी देखने के बाद टीम और खिलाड़ी का मनोबल गिरे। मौजूदा सीरीज में गैरजिम्मेदाराना शाट खेलने और खराब फार्म के लिए सहवाग की भी आलोचना हो रही है लेकिन उन्होंने अपने सीनियर साथियों का बचाव किया जो इस सीरीज में नाकाम रहे। सहवाग ने कहा, हमने वहां [इंग्लैंड में] अच्छी बल्लेबाजी नहीं की और यहां भी हमारी बल्लेबाजी अच्छी नहीं थी। हमारे शीर्ष छह-सात बल्लेबाजों ने इतने रन नहीं बनाए कि हमारे गेंदबाज हमें जीत दिला सकें। इंग्लैंड में राहुल [द्रविड़] ने तीन शतक बनाए लेकिन यहां सिर्फ विराट कोहली ने शतक बनाया। हम अपनी 50 रन की साझेदारियों को 100, 200 और 300 रन में नहीं बदल पाए। यह कमी रही। इसके कई उदाहरण है। पहले टेस्ट में जब द्रविड़ और सचिन बल्लेबाजी कर रहे थे तब हम अच्छी स्थिति में थे। अचानक सचिन अच्छी गेंद पर आउट हुए और अगले दिन द्रविड़ भी शुरूआत में आउट हो गए। एडिलेड की सपाट पिच पर भारत का प्रदर्शन विशेष रूप से निराशाजनक रहा जबकि सहवाग भी दोनों पारियों में फुलटास पर आउट हुए।

भारत के कार्यवाहक कप्तान ने स्वीकार किया, हां, मैं निराश हूं। पहली पारी में भी मैं फुलटास पर आउट हुआ। जैसे ही मैंने फुलटास देखी मुझे लगा कि यह गेंद चौका या छक्का मारने के लिए है। मैं शाट खेलने का प्रयास किया और आउट हो गया। यह निराशाजनक था लेकिन मैं इसी तरह खेलता हूं। यह भारतीय विकेट की तरह था जहां आप क्रीज पर उतरते ही रन बना सकते हो। पहले दो दिन गेंदबाजों को कोई मदद नहीं मिल रही थी। यह बताना मुश्किल है कि क्या गलत हुआ। हमने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की। हमने सलामी जोड़ी के रूप में टीम को अच्छी शुरूआत नहीं दी। सहवाग ने आस्ट्रेलिया को जीत का श्रेय देते हुए कहा, वे हमसे बेहतर थे इसलिए वे सीरीज जीतने में सफल रहे। उन्होंने हमसे बेहतर खेल दिखाया। भारतीय खिलाडि़यों के लिए यह अहम है कि वे विदेशी सरजमीं पर अच्छा प्रदर्शन करें। मैंने अच्छा प्रदर्शन नहंी किया इसलिए मुझे अपने खेल पर गौर करना होगा और अगले विदेशी दौरे के लिए योजना बनानी होगी। इसका सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि जो हुआ उसे भूल जाइए और आगामी मैचों और सीरीज पर ध्यान लगाइए। आपको अभ्यास करना होगा, रणनीति बनानी होगी और मैच में इसे अच्छी तरह अंजाम देना होगा। सहवाग ने सीनियर खिलाडि़यों का पूरा समर्थन करते हुए कहा कि संन्यास का फैसला पूरी तरह से व्यक्तिगत खिलाडि़यों को होना चाहिए और जूनियर को अपना स्थान अच्छे प्रदर्शन से हासिल करने की जरूरत है वीरू ने कहा, पिछले कुछ साल से हमारी बल्लेबाजी समान है। हमने 2007 से 2009 तक अच्छा प्रदर्शन किया। दुर्भाग्यवश दो बड़ी विदेशी सीरीज में हम अच्छा प्रदर्शन नहंी कर पाए। हम इन्हें लेकर उत्सुक थे लेकिन अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए और टीम को निराश किया। यह व्यक्तिगत खिलाडि़यों की जिम्मेदारी है कि वे टीम और अपने लिए खेलें और बड़ा स्कोर बनाए, कम से कम 300 से 400 रन का और फिर गेंदबाज अपने काम को अंजाम दे सकत हैं। संन्यास पर टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं को फैसला करना होगा। इसका फैसला मैं या कोई और नहंी कर सकता। अगर उन्हें लगता है कि बदलाव की जरूरत है तो वे ऐसा कर सकते हैं। अगर वे चाहते हैं कि खिलाड़ी जारी रखें और वे अन्य खिलाडि़यों के प्रदर्शन का इंतजार करें तो वे ऐसा भी कर सकते हैं। सहवाग का मानना है कि कोच डंकन फ्लैचर पर निशाना साधना अनुचित है। सहवाग ने कहा, यह अनुचित है। फ्लेचर अच्छा कोच है। वह बल्लेबाजों को काफी जानकारी देता है, रणनीति बनाता है.. खिलाडि़यों ने टीम को निराश किया। सहायक स्टाफ ने नहीं। वे सब कुछ कर रहे हैं, शीर्ष सात-आठ खिलाडि़यों के साथ काफी समय बिता रहे हैं। वे सुनिश्चित कर रहे हैं कि खिलाड़ी प्रदर्शन करें।

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