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अब बीसीसीआई को नहीं मिलेगा सहारा

आखिरकार बीसीसीआई को कोई तो जवाब देने वाला खड़ा हुआ। अब तक सिर्फ अपने फैसलों को सही और अपनी ताकत को सवोच्च मानने वाले बोर्ड को लंबे समय से चले आ रहे प्रायोजक सहारा इंडिया ने कुछ बातों को लगातार अनसुना करने की वजह से करारा जवाब देते हुए आज सभी वित्तीय संबंध तोड़ दिए। यही नहीं, कंपनी ने आईपीएल की खिलाडि़यों की नीलामी से चंद घंटे पहले पुणे वारियर्स टीम का मालिकाना हक भी छोड़ दिया।

By Edited By: Published: Sat, 04 Feb 2012 05:46 PM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2012 05:46 PM (IST)
अब बीसीसीआई को नहीं मिलेगा सहारा

नई दिल्ली। आखिरकार बीसीसीआई को कोई तो जवाब देने वाला खड़ा हुआ। अब तक सिर्फ अपने फैसलों को सही और अपनी ताकत को सवोच्च मानने वाले बोर्ड को लंबे समय से चले आ रहे प्रायोजक सहारा इंडिया ने कुछ बातों को लगातार अनसुना करने की वजह से करारा जवाब देते हुए आज सभी वित्तीय संबंध तोड़ दिए। यही नहीं, कंपनी ने आईपीएल की खिलाडि़यों की नीलामी से चंद घंटे पहले पुणे वारियर्स टीम का मालिकाना हक भी छोड़ दिया।

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पिछले 11 बरस से भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजक रहे सहारा ने बीसीसीआई से एक जुलाई 2010 को नया करार किया था जो 31 दिसंबर 2013 तक चलना था। नई शर्तों के तहत सहारा बीसीसीआई को प्रत्येक टेस्ट, वनडे और ट्वंटी20 अंतरराष्ट्रीय के लिए तीन करोड़ 34 लाख रुपए का भुगतान कर रहा था। सहारा इंडिया ने एक बयान में कहा, प्रायोजक के रूप में 11 बरस की यात्रा के बाद हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि क्रिकेट काफी अमीर बन गया है। कई अमीर लोग मजबूत इच्छा के साथ क्रिकेट का समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। इसलिए हम पूरी मानसिक शांति के साथ बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले क्रिकेट से हट रहे हैं और ऐसा हम भारी मन के साथ कर रहे हैं। इस प्रायोजन को शुरू करना हमारा भावनात्मक फैसला था लेकिन हमारी भावनाओं को कभी नहीं सराहा गया और कई मौकों पर हमारे आग्रह पर कोई विचार नहीं किया गया। अब बर्खास्त हो चुकी कोच्चि टस्कर्स केरल के साथ पिछले साल आईपीएल में प्रवेश करने वाले सहारा ने शिकायत की कि खिलाडि़यों और मैचों की संख्या से संबंधित उसके कई निवदेन बीसीसीआई ने स्वीकार नहीं किए। उधर, आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा है कि आईपीएल से पुणे वारियर्स के हटने के बावजूद नीलामी जारी रहेगी। सहारा ने बयान में कहा, 2008 में आईपीएल में प्रवेश के हमारे पहले प्रयास को विफल कर दिया गया जब बीसीसीआई ने किसी छोटी तकनीकी खामी के कारण हमें डिस्क्वालीफाई कर दिया। हमारी बोली भी नहंी खोली गई। पिछले साल सहारा ने मीडिया और हर जगह उपलब्ध इस सूचना के आधार पर आईपीएल में प्रवेश किया कि 10 टीमों के बीच 94 मैच खेले जाएंगे। इसी के आधार पर बोली की राशि की गणना की गई लेकिन सिर्फ 74 मैच खेले गए। हम अब तक भी बीसीसीआई को लगातार मनाते रहे कि उचित अनुपात में अतिरिक्त बोली राशि को लौटा दिया जाए। कड़े नियमों के आधार पर इससे इंकार कर दिया गया, टूर्नामेंट के हित में हम लगातार बीसीसीआई को खिलाडि़यों की खुली नीलामी के लिए मनाते रहे जिससे कि समानता हो और सभी टीमों को खिलाडि़यों की गुणवत्ता के नजरिए से बराबरी के मौके मिलें। दोबारा बीसीसीआई के कड़े नियमों के तहत बार बार इससे इंकार किया गया। हमें स्वाभाविक न्याय से वंचित किया गया। तब 12 सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों को पहले से मौजूद टीमों ने अपने पास बरकरार रख लिया। दो नई टीमों ने इसके बाद कम से कम एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी रखने की स्वीकृति देने का आग्रह किया लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इससे भी इंकार कर दिया गया।

आईपीएल में सहारा के शीर्ष खिलाड़ी कप्तान युवराज सिंह हैं जो फिलहाल फेफड़ों के ट्यूमर से उबर रहे हैं। आईपीएल के इस सत्र में युवराज की अनुपलब्धता पर सहारा ने बीसीसीआई से इस बल्लेबाज की कीमत को उसकी खिलाडि़यों की नीलामी की राशि में जोड़ने के लिए कहा था लेकिन उनके इस निवेदन को भी ठुकरा दिया गया। सहारा ने कहा कि चैम्पियन्स लीग टी20 के दौरान चोटों से जूझ रही मुंबई इंडियंस को टीम में संकट के कारण एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी को उतारने की स्वीकृति दी गई लेकिन पुणे वारियर्स के प्रति ऐसा रवैया कभी नहंी दिखाया गया। बयान के मुताबिक, हमें लगता है कि एकतरफा भावुक रिश्ते को अब आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। हम बीसीसीआई के अंतर्गत सभी तरह के क्रिकेट से हट रहे हैं। कंपनी ने हालांकि कहा कि वह अगले कुछ महीनों तक प्रायोजन राशि का भुगतान करेगी जिससे कि बीसीसीआई को नया प्रायोजक ढूंढने का समय मिल जाए। इसने साथ ही अपने आईपीएल खिलाडि़यों को स्टाफ को भुगतान करने का वादा किया। हम बीसीसीआई के लिए कोई समस्या खड़ी नहीं करना चाहते और हमें लगता है कि खिलाडि़यों को मुश्किल नहंी होनी चाहिए। बीसीआई को नया प्रायोजक ढूंढने में दो से चार महीने लगेंगे और हम तब तक प्रायोजन राशि देते रहेंगे। सभी अन्य आईपीएल टीम के खिलाडि़यों, कोचों और इस तरह जुड़े अन्य लोगों को अगर खेलने मौका नहीं मिलता है तो उन्हें इस साल उनका भुगतान निश्चित तौर पर मिलेगा।

सहारा ने साथ ही कहा कि वह इस बात से भी नाखुश था कि 2003 विश्व कप और कुछ अन्य टूर्नामेंट में आईसीसी के निर्देश पर टीम की शर्ट से उसका लोगो हटा दिया गया। बीसीसीआई के अंतर्गत क्रिकेट से हटने के बाद सहारा ने कहा कि वह एक हजार करोड़ वेलफेयर फाउंडेशन में लगाएगा। कंपनी ने कहा, हमें यह फैसला करते हुए खुशी हो रही है कि क्रिकेट में लगने वाले पैसे को अब सामाजिक कार्य में लगाया जाएगा। हम देश के प्रतिष्ठित लोगों के सहयोग से चलने वाली सहारा वेलफेयर फाउंडेशन में तुरंत 500 करोड़ रुपए डालने की घोषणा करते हैं। सहारा घोषणा करता है कि कार्यक्रमों की जरूरत के मुताबिक अगले एक से दो साल में इसमें 500 करोड़ रुपए और डाले जाएंगे। बीसीसीआई के साथ लगातार जारी बातचीत के दो फरवरी 2012 को विफल होने के बाद हमने यह फैसला किया लेकिन हमने आज नीलामी के दिन तक इंतजार किया कि बीसीसीआई को किया गया हमारा निवेदन मान लिया जाए लेकिन एक बार फिर स्वाभावित न्याय नहीं हुआ।

सहारा के मुताबिक वह 20 ग्रामीण-छोटे शहरों में खेल प्रचार केंद्रों का विकास करेगा जिसमें ग्रामीण-छोटे शहरों के क्रिकेट प्रचार केंद्र भी शामिल हैं। कंपनी ने कहा, केंद्रों में विविध खेल जैसे क्रिकेट, हाकी, साकर, फार्मूला वन, टेनिस, गोल्फ, कुश्ती, मुक्केबाजी आदि होंगे। भारत के तुरंत एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल आकदमी भी विकसित की जानी चाहिए। सभी चुने गए सर्वश्रेष्ठ छात्रों को अंतत: इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल अकादमी में जगह मिलेगी। सहारा ने साथ ही घोषणा की कि उन उम्रदराज [संन्यास ले चुके] और मौजूदा खिलाडि़यों के लिए सहायता कोष भी बनाया जाएगा जिन्होंने मेडिकल खर्चे, बेटियों की शादी, घर बनाने आदि में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक साल कम से कम 10 करोड़ बांटे जाएंगे जिसमें से तीन करोड़ क्रिकेटरों और सात करोड़ बाकी खेलों में दिए जाएंगे।

उधर बीसीसीआई ने साफ किया कि किसी भी फ्रेंचाइजी के लिए नियमों को नहीं बदला जा सकता लेकिन फिर भी वे अपने नाराज प्रायोजक और पुणे वारियर्स फ्रेंचाइजी के मालिक सहारा इंडिया से मिलेंगे ताकि चीजें स्पष्ट की जा सकें। सहारा इंडिया ने आज भारतीय क्रिकेट टीम से 11 साल पुराना नाता तोड़ लिया। वह टीम इंडिया का मुख्य प्रायोजक था और आइपीएल की पुणे वारियर्स टीम का मालिक था। सहारा का आरोप है कि बीसीसीआई ने उसकी वास्तविक शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया। बीसीसीआई के सचिव संजय जगदले ने कहा, हम सहारा [सहारा एडवेंचर स्पो‌र्ट्स लीमिटेड] से संपर्क करेंगे और चीजें स्पष्ट करने की कोशिश करेंगे।

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