कप्तानी पर हायतौबा गलत, वीरू योग्य नहीं
विदेशी धरती पर मिली लगातार सात हार के बाद आलोचनाओं का शिकार टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को आज पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम का समर्थन मिल गया है। उन्होंने धौनी की कप्तानी को लेकर मचाई जा रही हायतौबा के समय को गलत बताते हुए कहा कि उनका संभावित विकल्प वीरेंद्र सहवाग इसके लिए योग्य नहीं हैं।
सिडनी। विदेशी धरती पर मिली लगातार सात हार के बाद आलोचनाओं का शिकार टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को आज पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम का समर्थन मिल गया है। उन्होंने धौनी की कप्तानी को लेकर मचाई जा रही हायतौबा के समय को गलत बताते हुए कहा कि उनका संभावित विकल्प वीरेंद्र सहवाग इसके लिए योग्य नहीं हैं।
पाकिस्तान के पूर्व महान क्रिकेटर अकरम ने एक क्रिकेट वेबसाइट में अपने कालम में लिखा, एमएस धौनी की कंपनी को लेकर मचाई जा रही हायतौबा का समय बिलकुल गलत है। कप्तान की आलोचना करना भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट जानकारों का समय बिताने के लिए सबसे पसंदीदा काम है और मीडिया को यह पसंद है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारत की अगुवाई के लिए धौनी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं और निटक भविष्य में भी बना रहेगा। हाल में समय में बीसीसीआई की रणनीति का भारत के विदेशी दौरों में प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ा है। इसलिए धौनी को बलि का बकरा बनाना अनुचित होगा।
अकरम ने कहा, अगले कप्तान के रूप में दो नामों सहवाग और विराट कोहली, की चर्चा है। मेरी नजर में दोनों ही इस काम के लिए योग्य नहीं हैं। पाकिस्तान के इस पूर्व कप्तान ने कहा कि विदेशी सरजमीं पर लगातार दो टेस्ट सीरीज में वाइटवाश के बाद धौनी पर बने दबाव को समझा जा सकता है लेकिन सहवाग को जब आस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम टेस्ट में टीम की कमान संभालने का मौका मिला तो वह भी काफी प्रभावशाली नहीं थे। अकरम ने कहा, एडिलेड में भारतीय टीम की अगुवाई के दौरान सहवाग काफी प्रभावहीन थे और कोहली अभी बच्चा है जिसने अपने करियर की शुरुआत की है। वह अगले पांच साल तक इंतजार कर सकता है। मैंने एडिलेड टेस्ट के दौरान सहवाग से बेहतर बाडी लेंग्वेज की उम्मीद की थी लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी।
उन्होंने कहा, सहवाग ने एडिलेड में भारत की प्रतिष्ठा बचाने के लिए क्या किया? सहवाग में मुझे कभी-कभी शाहिद अफरीदी की झलक दिखती है। आत्म विनाश की भयानक प्रवृत्ति। अकरम ने कहा, धौनी ने भले ही कप्तान के रूप में काफी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हो लेकिन दो खराब सीरीज का मतलब यह नहीं कि उसे बाहर कर दिया जाए। क्या बीसीसीआई के पास सचमुच में विकल्प मौजूद है?
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