संदेश शंकराचार्य का
स्वामी सदानंद सरस्वती के हाथों जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की ओर से प्रेषित देश के नाम संदेश मंच से पढ़ कर सबको सुनाया गया- गंगा सेवा अभियान के द्वारा गंगा की अविरल-निर्मल धारा प्रवाहित हो एतदर्थ हमने प्रधानमंत्री से गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाया।
बनारस। स्वामी सदानंद सरस्वती के हाथों जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की ओर से प्रेषित देश के नाम संदेश मंच से पढ़ कर सबको सुनाया गया- गंगा सेवा अभियान के द्वारा गंगा की अविरल-निर्मल धारा प्रवाहित हो एतदर्थ हमने प्रधानमंत्री से गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाया। इसका उद्देश्य था गंगा को राष्ट्रीय सम्मान मिले। वह अविरल एवं निर्मल बहें, बांधों व बैराजों से उसके मार्ग को अवरुद्ध न किया जा सके। गंगा आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों ही दृष्टियों से हमारी पूज्या है। प्रत्येक हिंदू अपने अंतिम समय में मुख में गंगाजल डालकर अपने जीवन को धन्य बनाने की कामना करता है। पूरे विश्व के हिंदू की यही चाहत होती है कि वह जीवन में एकबार ही सही गंगा का दर्शन, स्नान एवं गंगाजल पान करे। हमारी धारणा है कि गंगा को राजा भगीरथ तारने के लिए लाए थे बिजली बनाने के लिए नहीं। बिजली का उत्पादन बढ़ाकर यदि उत्तराखंड का राजस्व बढ़ता है तो वह सरकारी खजाने में ही विनियुक्त हो जावेगा। जनता के हित में उसका विनियोग नहीं हो सकेगा जबकि गंगा निर्मल बहती रहेंगी, उसका प्राकृतिक सौंदर्य अक्षुण्ण रहा तो पर्यटन दिनों दिन बढ़ता जाएगा। उत्तराखंड के बर्फीले पुल, लंबे देवदार एवं चीड़ के मनोरम वृक्षों की श्रृंखलाएं, शीतल झरने यदि न रहे तो उत्तराखंड का पर्यटन प्रभावित होगा। आवश्यकता है कि सब लोग गंगा के लिए एकजुट हो जाएं। जो लोग इसके लिए अपने प्राणों की बाजी लगाकर तपस्या कर रहे हैं उनको एवं उनके सहयोगियों जिन्होंने उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में मदद की हमारी शुभकामनाएं प्रेषित हैं। शुभाकांक्षी- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।
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