सुर साज की झंकार से गूंजा मां दुर्गा दरबार
दुर्गाकुंड स्थित देवी कुष्मांडा दरबार गुरुवार को सुर-साज की झंकार से गूंजता रहा। श्रद्धालुओं ने मइया की दिव्य झांकी के दर्शन किए। साथ ही मनमोहक गीत संगीत से विभोर हुए। मौका था पांच दिवसीय श्रृंगार महोत्सव का जिसका शुभारंभ बुधवार की शाम किया गया था।
वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित देवी कुष्मांडा दरबार गुरुवार को सुर-साज की झंकार से गूंजता रहा। श्रद्धालुओं ने मइया की दिव्य झांकी के दर्शन किए। साथ ही मनमोहक गीत संगीत से विभोर हुए। मौका था पांच दिवसीय श्रृंगार महोत्सव का जिसका शुभारंभ बुधवार की शाम किया गया था।
बेला, गुलाब, चमेली, गुड़हल के पुष्प तथा कामिनी व अशोक की पत्तियों से मां दुर्गा की झांकी सजाई गई। पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में 11 ब्राहृमणों ने वसंत पूजा व वेद पाठ किया। मइया की आरती उतारी गई। संगीत की पहली निशा में पं. रमाशंकर ने शहनाई बजाई। राग मारु विहार के साथ ही कई धुनें सुनाई। रुद्रशंकर मिश्र व वसुंधरा शर्मा ने कथक में उपज, टुकड़ा और परंपरागत शैली में प्रस्तुति दी। पं. किशोर मिश्र व पं. श्याम सुंदर मिश्रा की युगलबंदी में तबले की थाप से श्रोताओं को मोहा। रुचि मिश्रा ने शास्त्रीय गायन से समा बांधी। दूसरी निशा में जवाहर लाल ने शहनाई पर कजरी बजाकर लोगों को झुमने पर विवश कर दिया। पं. शिवनाथ मिश्र व देवव्रत मिश्र ने सितार की युगलबंदी पेश की। राग मारु विहार, अलाप जोड़ झाला के साथ ही तीन ताल में विलंबित व द्रुत रचना बजाई। विशाल कृष्ण ने कथक में नवदुर्गा स्तुति व बनारस घराने का नटखरी भरत नाट्यम पेश किया। आनंद किशोर व उमाशंकर झा ने गायन से रिझाया। श्रीकांत मिश्र व आनंद किशोर ने तबला वादन, अंशुमान महराज ने सरोद वादन व राकेश कुमार ने बांसुरी वादन से महफिल सजाई। श्रृंगार महोत्सव का संयोजन पं. संतोष कुमार मिश्रा, स्वागत विद्यापति त्रिपाठी, संचालन हनुमान प्रसाद अग्रवाल व धन्यवाद ज्ञापन रामयश मिश्रा ने किया।
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