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श्रावणी मेला पर बारिश, महंगाई व पूर्णिमा का असर

श्रावणी मेला को लेकर देवघर में एक कहावत चरितार्थ है। एक माह कमाओ साल भर खाओ। अगर कहा जाए कि श्रावणी मेला देवघर की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है तो गलत नहीं होगा।

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2012 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2012 05:09 PM (IST)
श्रावणी मेला पर बारिश, महंगाई व पूर्णिमा का असर

देवघर। श्रावणी मेला को लेकर देवघर में एक कहावत चरितार्थ है। एक माह कमाओ साल भर खाओ। अगर कहा जाए कि श्रावणी मेला देवघर की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है तो गलत नहीं होगा। मेले में न केवल स्थानीय बल्कि दूसरे जिले व राज्यों के लोग भी श्रावणी मेला में देवघर पहुंचकर कमाई करते हैं, लेकिन इस बार श्रावणी मेला में कांवरियों के कम प्रवाह से व्यवसायियों में मायूसी है। मेला को सात दिन बीत गए, लेकिन अभी भी श्रावणी मेला का रंग नहीं चढ़ पाया है। जानकार मानते हैं कि श्रावणी मेला पर पूर्णिमा, बारिश व महंगाई का असर है।

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कई राज्यों में संक्रांति सावन का महत्व-

पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री दुर्लभ मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो की तुलना इस बार भीड़ नहीं के बराबर है। कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी पूर्णिमा सावन चल रहा है। 16 जुलाई से संक्रांति सावन शुरू होगा। नेपाल के अलाव असम, भूटान, बंगाल व उड़ीसा आदि प्रांतों के लोग संक्त्रांति सावन को ही मानते है। इसलिए 15 जुलाई के बाद ही यहां के लोग देवघर पहुंचेंगे। इन राज्यों से बड़ी संख्या में कांवरिया देवघर पहुंचते है।

श्री मिश्र के अनुसार समय से बारिश नहीं होना भी महत्वपूर्ण कारण है। श्रावणी मेला में आने वाले बहुत संख्या में ऐसे कांवरिया है जिनका पूरा साल खेती पर ही निर्भर रहता है। ऐसे लोग खेती का काम पूरा करके ही कांवर यात्रा शुरू करते हैं। महंगाई को उन्होंने बहुत बड़ा कारण माना। आज हर चीज की कीमत दोगुनी हो गई है, इसलिए बहुत से लोग कांवर यात्रा करने में असमर्थ हो रहे हैं। भादो में मलमास के बारे में उन्होंने कहा कि इसका खास असर श्रावणी मेला पर नहीं है। पूर्वी उत्तर प्रदेश खासतौर से इलाहाबाद, रीवा, बनारस व सतना आदि के लोग इसे मानते है और इनकी संख्या 20 हजार से अधिक नहीं है। इसके अलावा कई लोग एक कारण और मान रहे है पिछले वर्षो में भगदड़ या फिर लाठीचार्ज में अच्छा अनुभव नहीं लेकर गए।

दूसरी व तीसरी सोमवारी को योग-

श्रावणी मेला की दूसरी व तीसरी सोमवारी प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। इस दिन अप्रत्याशित भीड़ की संभावना जताई जा रही है। 16 जुलाई को दूसरी सोमवारी के अलावा त्रयोदशी व संक्त्रांति का योग है। जबकि 23 जुलाई को तीसरी सोमवारी को नागपंचमी का भी योग लग रहा है।

क्या कहते व्यवसायी-

भगवान झा, अजय झा, नागेन्द्र कुमार व प्रदीप सहित अन्य व्यवसायियों का भी मानना है कि समय से बारिश नहीं होने के कारण मेला फीका है। लेकिन निराशा के बीच आशा यह है कि संक्त्रांति सावन में भीड़ बढ़ेगी और ऐसा नहीं हुआ तो वह न घर के रहेंगे और न घाट के। क्योंकि ब्याज पर कर्जा लेकर उन्होंने व्यवसाय में लगाया है।

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