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.और मोक्षदायिनी ने नहीं बदला रंग

गंगा जल को लेकर राजनीति होती रहेगी, संत गरजते रहेंगे और यह सिलसिला न जाने किस मोड़ पर जाकर खत्म होगा। मनुष्य की प्रवृत्ति जो भी हो, मगर मोक्षदायिनी गंगा अपने भक्तों के लिए वक्त पर प्यार छलकाना नहीं भूलतीं। कुछ ऐसा ही वाकया वसंत पंचमी स्नान पर्व पर देखने को मिल रहा है।

By Edited By: Published: Fri, 15 Feb 2013 12:27 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2013 12:27 PM (IST)
.और मोक्षदायिनी ने नहीं बदला रंग

कुंभ नगर [आशुतोष तिवारी]। गंगा जल को लेकर राजनीति होती रहेगी, संत गरजते रहेंगे और यह सिलसिला न जाने किस मोड़ पर जाकर खत्म होगा। मनुष्य की प्रवृत्ति जो भी हो, मगर मोक्षदायिनी गंगा अपने भक्तों के लिए वक्त पर प्यार छलकाना नहीं भूलतीं। कुछ ऐसा ही वाकया वसंत पंचमी स्नान पर्व पर देखने को मिल रहा है।

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वैज्ञानिक पद्धति से प्रमुख स्नान पर्व के पहले गंगा का बीओडी लेवल और रंग का परीक्षण होता है। वैज्ञानिक पैमाने के अनुसार बीओडी लेवल तीन से नीचे और 300 फैजन (रंग का स्तर) से कम होने पर ही माना जाता है कि गंगा का पानी स्नान योग्य है। वसंत पंचमी स्नान पर गंगा का बीओडी लेवल ठीक नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गंगा का बीओडी लेबल सात के आसपास है। जबकि बीओडी लेवल तीन होता है, तो मानकर चला जाता है कि गंगा का पानी साफ है। इस बार बीओडी लेवल सात है, यानी गंगा का पानी स्नान योग्य नहीं है। वहीं इस बार गंगा का रंग दस फैजन है, जो बताता है कि गंगा का पानी रंगहीन है। यानी गंदगी के बावजूद गंगा ने अपना रंग नहीं बदला। यह भी एक संयोग है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सिकंदर बताते हैं कि बीओडी और फैजन में कोई संबंध नहीं होता। हालांकि गंगा का रंगहीन होना साबित करता है कि गंगा ने अपने रंग को बरकरार रखा है। वहीं यमुना में बुधवार को बढ़े जलस्तर से भी नया संकट खड़ा हो गया था, मगर चौबीस घंटे में ही जलस्तर का बढ़ना रुक गया। सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चंबल और बेतवा नदी में बाढ़ आने से यमुना का जलस्तर भी बढ़ गया था, मगर गंगा के प्रभाव में आते ही यमुना भी संभल गईं। वहीं गंगा में ढाई हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो धीरे-धीरे संगम तट पर पहुंच रहा है। कटान की स्थिति भी नियंत्रण में हैं। गंगा अपने रौद्र रूप में नहीं हैं। उन्होंने अपने को नियंत्रित कर रखा है। यही वजह है कि इस बार सिंचाई विभाग के अधिकारी अन्य प्रमुख स्नान पर्व की अपेक्षा इस बार निश्चिंत हैं।

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