सांस्कृतिक धरोहर का बोध होना जरूरी
गुरु गोरखनाथ मानव कल्याण संस्थान के अध्यक्ष महंत कैलाशनाथ हठयोगी यमुना में लगातार बढ़ रहे जल प्रदूषण को लेकर बेहद चिंतित हैं।
फरीदाबाद। गुरु गोरखनाथ मानव कल्याण संस्थान के अध्यक्ष महंत कैलाशनाथ हठयोगी यमुना में लगातार बढ़ रहे जल प्रदूषण को लेकर बेहद चिंतित हैं। वे कहते हैं कि लोग यह भूल रहे हैं कि भारतीय संस्कृति में यमुना सांस्कृतिक धरोहर हैं और वेद-पुराणों में यमुना को मां स्वरूपा कहा गया है। कैलाशनाथ कहते हैं कि यमुना की दीन दशा के लिए दिल्ली शासन जिम्मेदार हैं, जहां हजारों की संख्या में छोटी बड़ी नालियां, नाले केमिकल युक्त गंदा पानी सीधे यमुना में पहुंचा रहे हैं। शासन-प्रशासन को यमुना की स्वच्छता के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, साथ-साथ यमुना किनारे बसे गांव व बस्तियों के लोगों को भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए इसमें बहाया जा रहा कूड़ा, करकट, पॉलीथिन, मरे हुए पशु और गंदा जल रोकना होगा।
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