अशुभ नहीं है श्राद्ध पक्ष में खरीददारी करना
श्राद्धपक्ष एक परंपरागत उत्सव है जो कि पितरों की शांति के लिए मनाया जाता है। किंतु पुरातन काल से आधुनिक समय में धर्म के इस क्षेत्र में भी अनेकों बदलाव आए हैं।
गाजियाबाद। श्राद्धपक्ष एक परंपरागत उत्सव है जो कि पितरों की शांति के लिए मनाया जाता है। किंतु पुरातन काल से आधुनिक समय में धर्म के इस क्षेत्र में भी अनेकों बदलाव आए हैं। परिवर्तन की नई व्याख्या और लोकधारणा यह बनी है कि श्राद्ध के दिनों में खरीदारी करना अत्यंत अशुभ होता है। जबकि पंडितों की माने तो श्राद्ध में खरीददारी करना अशुभ नहीं है। ये एक सामान्य प्रक्रिया है। शास्त्रों में माना गया है कि श्राद्ध पक्ष में मृत्यु के देवता यमराज जीव को कुछ दिनों के लिए यमलोक से मुक्त कर देते है और वो पितृ पक्ष के दिनों में आकर अपने प्रियजनों के पास आते हैं।
अशुभ नहीं है श्राद्ध पक्ष में खरीददारी
करीब एक पखवाड़े तक चलने वाले पितृ पक्ष में लोकधारणा के अनुसार किसी भी प्रकार की खरीदारी करना काफी अशुभ माना जाता है जबकि पं. विश्वनाथ बताते हैं कि श्राद्ध के दिनों में खरीददारी करना एवं अन्य शुभ कार्य करना काफी शुभ एवं लाभदायक है। क्योंकि पितृ हमेशा गणेश आराधना और देवी पूजा के बीच आते हैं। पितरों के सान्निध्य में यदि किसी वस्तु की खरीददारी की जाए तो उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है।
चिर स्थाई रहता है पितरों का आशीर्वाद-
पंडित ब्रज किशोर शर्मा का कहना है कि पितृ पक्ष में लोग किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने को वर्जित मानते हैं जबकि इस समय यदि कोई शुभ कार्य, खरीददारी एवं विवाह आदि किए जाते हैं तो पितृों का आर्शीवाद चिर स्थाई रूप में उन्र्हे मिलता है। पूर्वजों और पितरों के प्रति सम्मान, प्रेम एवं जीवन में उनके द्वारा किए गए त्याग का आदर करना ही श्राद्ध कहलाता है। उनके मुताबिक आने वाली पीढ़ी को किसी प्रकार का दोष एवं पाप न लगे और उनके पूर्वज व पितृों का आर्शीवाद सदैव उनके साथ रहे,इस लिए भी पितृ पक्ष को मनाया जाता है। जबकि पहले जहां श्राद्ध पक्ष में बाजार सूने रहते थे मौजूदा समय में श्राद्ध पक्ष में भी बाजार लोगों से गुलजार रहते हैं।
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