परंपरा
एक व्यक्ति ने अपने बेटे की शादी की तो घर में नाते-रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों को प्रीति-भोज में आमंत्रित किया। लेकिन वह बड़ा परेशान लग रहा था। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उससे पूछा - क्या बात है बेटा, परेशान क्यों हो..?
एक व्यक्ति ने अपने बेटे की शादी की तो घर में नाते-रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों को प्रीति-भोज में आमंत्रित किया। लेकिन वह बड़ा परेशान लग रहा था। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उससे पूछा - क्या बात है बेटा, परेशान क्यों हो..?
वह बोला - मुझे एक बिल्ली की जरूरत है, वह मिल नहीं रही।
बुजुर्ग बोले - बिल्ली की क्या जरूरत है? तो वह बोला - हमारे यहां परंपरा है कि जब भी प्रीति भोज होता है, तो हम भोजन बनाने वाले स्थान पर बिल्ली को एक टोकरे में बंद कर देते हैं। हमारे दादा के जमाने से यह होता आ रहा है। बुजुर्ग व्यक्ति बोले- बेटा, जब तुम्हारे दादा ने प्रीति भोज दिया था, तब मैं किशोर उम्र का था। मुझे अच्छी तरह याद है, जब प्रीतिभोज का खाना बन रहा था, तब वहां अचानक एक बिल्ली आ गई। वह कहीं भोजन को जूठा न कर दे, इसलिए उन्होंने उसे टोकरे में बंद कर दिया था। उनकी इस समझदारी को शायद तुम्हारे पिता जी ने परंपरा समझ लिया होगा।
कथा-मर्म : नासमझी में परंपराओं को ढोने के बजाय हमें हर चीज को समझदारी से तर्क की कसौटी पर कसना चाहिए।
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