गंगोत्री ग्लेशियर में पिघल रही बर्फ
गंगोत्री ग्लेशियर पर सर्दियों में जमी बर्फ की परत अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से पिघलने लगी है। जिसके चलते हुए अभी तक भागीरथी में साफ पानी बह रहा है। दूसरे अभी सर्दियों में पिघले ग्लेशियर की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद ही पता चलेगा की सर्दियों में कितना ग्लेशियर पिघला है।
रुड़की। गंगोत्री ग्लेशियर पर सर्दियों में जमी बर्फ की परत अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से पिघलने लगी है। जिसके चलते हुए अभी तक भागीरथी में साफ पानी बह रहा है। दूसरे अभी सर्दियों में पिघले ग्लेशियर की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद ही पता चलेगा की सर्दियों में कितना ग्लेशियर पिघला है।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम गंगोत्री ग्लेशियर की रिपोर्ट लेने के लिए छह मई को गई थी। जो सर्दियों की छमाही रिपोर्ट लेकर मंगलवार की रात को लौट आयी है। दल के प्रभारी एवं गंगोत्री ग्लेशियर पर कार्य कर रहे वैज्ञानिक डॉ. मनोहर अरोड़ा ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर में लगे संस्थान के स्वचालित यंत्र से डाटा लेकर लौट आए है। जिसका अभी विश्लेषण किया जाना शेष है। इसके अलावा ग्लेशियर पर इस बार अन्य सालों की तुलना में करीब डेढ़ फीट बर्फ अधिक जमी है। जोकि अप्रैल के अंतिम सप्ताह से तापमान बढ़ने पर पिघलना शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि अभी बर्फ ही पिघल रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भागीरथी के पानी में तलछट (सिल्ट) नहीं आ रहा है। जबकि ग्लेशियर से पिघलकर निकलने वाले पानी में सिल्ट होती है। डॉ. अरोड़ा का कहना है कि ग्लेशियर में तापमान माइनस से दो डिग्री सेल्सियस एवं अधिकतम आठ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जून माह के प्रथम सप्ताह से ग्लेशियर पिघलने शुरू होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह में आंकड़ों का विष्लेषण कर रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इसके बाद पता चलेगा कि सर्दियों में कितना ग्लेशियर पिघला है। टीम में डॉ. मनोहर के अलावा परियोजना अधिकारी जतिन मल्होत्रा एवं अजय कुमार शामिल थे।
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