श्रीराम कथा के समापन दिवस पर उमड़े श्रद्घालु
जूना अखाड़ा वृन्दावन से आए कथा व्यास स्वामी संजीवन गिरी महाराज ने कहा कि बिना भजन के मुक्ति नहीं मिलती। अन्त:करण शुद्ध होने पर ही भजन हो सकता है।
हापुड़। जूना अखाड़ा वृन्दावन से आए कथा व्यास स्वामी संजीवन गिरी महाराज ने कहा कि बिना भजन के मुक्ति नहीं मिलती। अन्त:करण शुद्ध होने पर ही भजन हो सकता है। यह विचार गिरी महाराज ने बृहस्पतिवार को गांव कस्तला कासमाबाद में चल रही श्रीराम कथा के समापन दिवस पर श्रद्धालुओं के समक्ष कहे। उन्होंने कहा कि मोह माया में लिप्त प्राणी से भजन नहीं हो सकता। कलियुगी प्रभाव प्राणी को भजन नहीं करने देता। कलियुगी प्रभाव से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रीराम कथा का आयोजन किया जाता है। वहीं, वह प्राणी अभागा है जो श्रीराम कथा श्रवण का अवसर चूक जाता है।
गिरि महाराज ने कहा कि सौभाग्यशाली तो वह है जो शुद्ध अन्त:करण से समर्पित होकर सदकर्म करते हुए प्रभु भजन करता है। भक्ति का रंग जिस पर चढ़ जाता है फिर वह जीवन भर नहीं उतरता। उन्होंने दो धर्म बताए, देह धर्म व आत्म धर्म। उन्होंने कहा कि बल, बुद्धि, विवेक और समय प्राणी को संयमित जीवन जीना सीखाता है। गिरि महाराज ने कैकेयी भरत प्रसंग में कहा कि क्या जहरीली बेल में अमृतफल लग सकता है। जबकि भरत निर्दोष थे। कैकेयी पर दुर्बुद्धि का प्रभाव ही खेल बिगाड़ गया। उन्होंने कहा कि प्रभु किसी को मारते नहीं बल्कि तारते है। जीव को मुक्ति प्रदान करते है। दिनेशचंद शर्मा ने प्रवचनों पर नृत्य कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर श्याम सिंह, राजबल तोमर, जीतपाल, दीवान, जनक रसिक, पुष्पेंद्र तोमर, जगराम शर्मा, हेमचंद, भगवान सिंह, कुशल रसिक, कुंवरपाल, धीरेंद्र तोमर, रिंकू, मीना, चारू, शुभम, शकुन्तला, शिव सिंह, महावीर तोमर व अमी सिंह उपस्थित थे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर