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105 साल बाद दोबारा दिखेगा शुक्र पारगमन

छह जून को दिखने वाला शुक्र पारगमन का नजारा दोबारा 105 साल बाद देखने को मिलेगा। शुक्र पारगमन में धरती और सूर्य के मध्य एक तल और एक रेखा में आ जाती है।

By Edited By: Published: Fri, 11 May 2012 04:02 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2012 04:02 PM (IST)
105 साल बाद दोबारा दिखेगा शुक्र पारगमन

जालंधर। छह जून को दिखने वाला शुक्र पारगमन का नजारा दोबारा 105 साल बाद देखने को मिलेगा। शुक्र पारगमन में धरती और सूर्य के मध्य एक तल और एक रेखा में आ जाती है। यह जानकारी वीरवार को सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल नेहरू गार्डन में जिला शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देश पर जिलेभर के स्कूलों के शिक्षकों व विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए आयोजित एक कार्यशाला के दौरान रिसोर्स पर्सन व पतारा हाई स्कूल के हेडमास्टर संजीवन सिंह डढवाल ने दी। इस मौके पर जिलेभर के सरकारी स्कूलों के 200 शिक्षक मौजूद थे।

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कार्यशाला का केंद्र बिंदू छह जून को लगने वाली अंतरिक्ष घटना शुक्र पारगमन था। उन्होंने बताया कि सूर्य पारगमन की स्थिति अमावस के दिन लगने वाले सूर्य ग्रहण के अवसर पर चंद्रमा की स्थिति जैसी होती है। शुक्र धरती से चार करोड़ किलोमीटर दूर होने के कारण इसकी परछाई धरती तक नहीं पहुंचती। यह सूर्य ग्रहण तो नहीं लगाता, परंतु सूर्य की डिस्क के आगे से एक काले बिंदू जैसा गुजरता हुआ दिखाई देता है। छह जून की सुबह होते ही शुक्र की डिस्क के आगे से आधा पारगमन कर चुका होगा।

भारत में शुक्र पारगमन कब होगा

भारतीय समय के अनुसार शुक्र पारगमन छह जून को तड़के 2 बजकर 1 मिनट से शुरू हो जाएगा और यह 10 बजकर 21 मिनट तक जारी रहेगा।

शुक्र पारगमन का प्रभाव

सूर्य ग्रहण या शुक्र पारगमन कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इसे देखना है तो सूर्य की तरफ एक विशेष सोलर फिल्टर या 14 नंबर वाले बेल्डिंग ग्लास की सहायता से देखना चाहिए। इसके अलावा टेलीस्कोप या गोलाकार दर्पण के द्वारा इसका प्रतिबिंब अंधेरे कमरे की दीवार पर बनाकर उस प्रतिबिंब की तरफ देखना चाहिए। सूर्य की तरफ सीधा देखने से इसके प्रकाश में मौजूद इंफ्रारेड किरणों की गर्मी आंख के कार्निया को जलाकर अंधा बना सकती है।

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