वाह! इस स्वाद के क्या कहने
कुंभ मेले में हर अखाड़ों की अपनी अलग-अलग विशेषता है। धर्मध्वजा से लेकर रीति- नीति, पूजा-पाठ तक के विधि-विधान भी भिन्न हैं। ऐसे में अखाड़ों के प्रसाद और उनके स्वाद भी निराले हैं। सेक्टर चार में संन्यासिनी दशनामी जूना अखाड़ा भी ऐसी विशेषताओं से युक्त है।
कुंभ मेले में हर अखाड़ों की अपनी अलग-अलग विशेषता है। धर्मध्वजा से लेकर रीति- नीति, पूजा-पाठ तक के विधि-विधान भी भिन्न हैं। ऐसे में अखाड़ों के प्रसाद और उनके स्वाद भी निराले हैं। सेक्टर चार में संन्यासिनी दशनामी जूना अखाड़ा भी ऐसी विशेषताओं से युक्त है। यहां लहराती ध्वजा. गेट पर तैनात महिला पुलिसकर्मी से मिलकर प्रसाद के जायका की जानकारी जुटाने के लिए अंदर पहुंच गए। माई के कमरे के आगे अन्नपूर्णा भंडार सजा था। महिला संन्यासिनियों के साथ कुछ अन्य महिलाएं भी प्रसाद ग्रहण कर रही थीं। हमने भी दो निवाला ग्रहण किया। जायका ऐसा था कि जैसे मां अन्नपूर्णा ने खुद अपने हाथों से बनाया है।
प्रसाद ग्रहण करने के बाद अखाड़े की अध्यक्ष श्री महंत देव्या गिरि से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। जूना अखाड़े से इस महिला अखाड़े की ध्वजा अब अलग हो गई है। यहां तीन सौ से अधिक संन्यासिनी रहती हैं। उनके साथ ही बाहर से आने वाली अन्य महिलाओं के लिए भी प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। नेपाल की महिलाएं अधिक संन्यासी हैं, इसलिए भोजन में भी वहीं का स्वाद दिखता है। चावल की प्रचुरता है। रोटी भी तवे की मिलती है। सब्जियां अलग-अलग प्रकार की बनती हैं। उन्होंने बताया कि इस अखाड़े में यदि बाहर की महिलाएं आती हैं तो उन्हें भी प्रसाद जरूर ग्रहण कराया जाता है। हां एक समय के बाद अखाड़े में इंट्री पर प्रतिबंध भी है, इसलिए समय से आने वाले ही प्रसाद ले पाते हैं।
नहीं मिलेगा रामलड्डू और पाताल लौंग -
भंडारे के प्रसाद को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। कारसेवक उन्हीं शब्दों का प्रयोग करके प्रसाद परोसेंगे। यदि चूके तो स्वाद लेने से वंचित रह जाएंगे। इसलिए उस भाषा कोड को जानना जरूरी है। यहां रामलड्डू के साथ ही पाताल लौंग का प्रयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है।
किसको क्या हैं कहतें
लहसुन : पाताल लौंग
प्याज : राम लड्डू
पानी : जलराम
चावल : चावलराम
रोटी : फुल्काराम
सब्जी : सब्जीराम
नमक : रामरस
मिर्च : लंका
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