भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का किया दर्शन
परमपावन दलाईलामा ने सारनाथ में अपने प्रवास के छठें दिन शुक्रवार को मूलगंध कुटि विहार बौद्ध मंदिर पहुंचकर भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष का दर्जन पूजन किया। इसके पहले पुरातात्विक खंडहर परिसर स्थित धमेख स्तूप को प्रणाम कर तीन बार परिक्त्रमा की।
वाराणसी। परमपावन दलाईलामा ने सारनाथ में अपने प्रवास के छठें दिन शुक्रवार को मूलगंध कुटि विहार बौद्ध मंदिर पहुंचकर भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष का दर्जन पूजन किया। इसके पहले पुरातात्विक खंडहर परिसर स्थित धमेख स्तूप को प्रणाम कर तीन बार परिक्त्रमा की। इसके बाद वह तिब्बती बौद्ध मंदिर गए जहां उन्होंने विश्वशांति के लिए विशेष पूजा की।
धर्मगुरु दलाईलामा अपराह्न एक बजे केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय स्थित अस्थाई आवास से सारनाथ के लिए निकले। सबसे पहले वह पुरातात्विक खंडहर परिसर गए। यहां पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने उनकी अगवानी की। वह सीधे धमेख स्तूप पहुंचे और धार्मिक मान्यता के अनुसर परिक्त्रमा की। इसके बाद दलाईलामा पदयात्रा करते हुए मूलगंध कुटि विहार गए। स्वागत महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु पी शिवली थेरो ने किया और उन्हें बुद्ध मंदिर ले गए। मंदिर में रखे भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष का मंत्रोच्चारण कर दर्शन-पूजन कराया। लगभग 15 मिनट तक पूजा-पाठ चला। यहां से वह तिब्बती बौद्ध मंदिर पहुंचे। वहां विश्वशांति को पूजा की। मंदिर के ल्खदेन छोठुल मोनलम छेनमो ट्रस्ट का उद्घाटन किया।
दलाईलामा के लिए विशेष प्रदर्शनी : परमपावन दलाईलामा शनिवार को अपराह्न 2 बजे स्वयं पर केंद्रित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगे। प्रदर्शनी विश्वविद्यालय के अतिशा सभागार में लगाई जाएगी। इसमें उनके जीवनवृत व संघर्षो से संबंधित 21 पेंटिंग उनकी अनुमति पर ही लखनऊ के दवा उपकरण व्यवसायी अनूप मेहरोत्रा ने बनाई हैं। प्रदर्शनी गत 6 जनवरी से कालचक्त्र मंडल स्थित प्रवचन स्थल पर लगाई गई थी। शुक्रवार को कुलपति प्रो. नवांग समतेन व कुलसचिव देवराज सिंह समेत सभी ने प्रदर्शनी देखी।
विदेशी अतिथियों को संबोधन आज- धर्मगुरु दलाईलामा विश्वविद्यालय परिसर में शनिवार की सुबह 10 बजे विदेशी अतिथियों को संबोधित कर आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
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