देशभक्ति की अनूठी मिसाल
आजादी की लड़ाई में वाराणसी स्थित भारत माता मंदिर क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा श्चोत बना। इसका निर्माण सभी धर्मो और संप्रदायों को आपस में जोड़ने के लिए हुआ था..
भारत माता का मंदिर यह समता का संवाद जहां,
सबका शिव कल्याण यहां है पावें सभी प्रसाद यहां।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की यह कविता इस मंदिर में अंकित है। मठ-मंदिरों के शहर काशी में भारतमाता मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें किसी भी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। वहां हैं, तो सिर्फ भारत माता, अपने मानचित्र के रूप में..। कभी यह स्वतंत्रता की लड़ाई में हमारे सेनानियों में जोश भरता था, लेकिन आज विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
कहा जाता है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में आजादी के दीवानों का यह बड़ा केंद्र था, जहां अंग्रेजी शासन के खिलाफ गोपनीय बैठकें हुआ करती थीं। आजादी के जंगी भारतमाता मंदिर में मत्था टेककर अपनी रणनीति को धार देते थे। चूंकि मंदिर का निर्माण स्वतंत्रता और विभाजन के पूर्व हुआ था, इसलिए इसमें भारत का अखंड मानचित्र लगाया गया था। कश्मीर से कन्याकुमारी तक का एक-एक इंच व एक-एक कोना समेटे हुए है। साथ ही पहाड़ों, जल स्थलों को भी उकेर कर दर्शाया गया है। इस मंदिर में किसी धर्म, जाति, वर्ग, संप्रदाय का भेदभाव नहीं है।
यह मंदिर राष्ट्ररत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त की परिकल्पना है, जो स्वतंत्रता सेनानी थे। इसका शिलान्यास सन् 1918 में भारत रत्न डॉ. भगवान दास ने किया था। इसका निर्माण काशी निवासी शिल्पी दुर्गाप्रसाद ने किया। इस मंदिर का उद्घाटन सन् 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। गांधी जी ने उम्मीद जताई थी कि यह मंदिर देश के सभी धर्मो, संप्रदायों को राष्ट्रीयता के साथ जोड़ेगा।
मंदिर में भारत माता का मानचित्र कला और वास्तु का अद्भुत नमूना है। मानचित्र में जो पैमाना उकेरा गया है, उसमें एक इंच में 6.4 मील, ऊंचाई एक इंच में दो हजार फीट और समुद्र की गहराई भी इसी हिसाब से दर्शाई गई है। इसे सफेद संगमरमर के मकराना पत्थरों से बनाया गया है और समुद्र, पर्वतों, नदियों आदि को उकेरा गया है। भारत भूमि के उपरांत उत्तर में पामीर, तिब्बत और तुर्किस्तान और पूर्व में चीन की दीवार का थोड़ा अंश, दक्षिण में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अफगानिस्तान और अरब सागर दर्शाया गया है। भारत माता मंदिर में राष्ट्रीय पर्वो पर खूब सजावट की जाती है और समुद्र व नदी के भू-भाग में जल भी भरा जाता है।
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