सत्संग से जागता है सौभाग्य
सुख-दुख, लाभ-हानि, बचपन, जवानी और बुढ़ापा आते हैं, और जाते हैं, लेकिन जो इन सबको जानने वाला है। वह कभी नहीं जाता, वही आत्मा-परमात्मा है, वही भगवान है। वास्तव में भगवान ही हमारे हैं। भगवान न दूर हैं, न दुर्लभ हैं, बाद में मिलेंगे ऐसा भी नहीं है।
लुधियाना। सुख-दुख, लाभ-हानि, बचपन, जवानी और बुढ़ापा आते हैं, और जाते हैं, लेकिन जो इन सबको जानने वाला है। वह कभी नहीं जाता, वही आत्मा-परमात्मा है, वही भगवान है। वास्तव में भगवान ही हमारे हैं। भगवान न दूर हैं, न दुर्लभ हैं, बाद में मिलेंगे ऐसा भी नहीं है।
जगराओ पुल के पास स्थित सरकारी कालेज में सत्संग आयोजन समिति द्वारा बुधवार को आयोजित सत्संग में यह बात आसाराम बापू ने कही।
उन्होंने कहा कि ओमकार सबसे ठोस तत्व है। ओमकार परमात्मा की स्वाभाविक ध्वनि है, ओमकार मंत्र सभी मंत्रों का सेतु है। यंत्र से भी मंत्र अधिक प्रभावशाली होता है। प्रतिदिन शांत बैठकर ओमकार मंत्र का जाप करने से सभी कार्र्यो में सफलता मिलती है।
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