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भगवान न करे कोई देखे ऐसा मंजर

तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय का इमरजेंसी वार्ड। समय अपराह्न 12 बजे। छह बेड वाले कक्ष में पांच बेडों पर रविवार शाम हुई भगदड़ में घायल पीडि़तों को अधीक्षक बेहतर चिकित्सा सुविधा देने की हिदायत दे रहे थे

By Edited By: Published: Tue, 12 Feb 2013 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2013 02:19 PM (IST)
भगवान न करे कोई देखे ऐसा मंजर

इलाहाबाद। तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय का इमरजेंसी वार्ड। समय अपराह्न 12 बजे। छह बेड वाले कक्ष में पांच बेडों पर रविवार शाम हुई भगदड़ में घायल पीडि़तों को अधीक्षक बेहतर चिकित्सा सुविधा देने की हिदायत दे रहे थे। वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम उनकी जांच में लगी हुई। इसी कक्ष के बेड नंबर 16 पर भर्ती झारखंड के लातेहर जिले के 50 वर्षीय गंगा प्रसाद जादव उन खुश किस्मतों में शामिल हैं जो इस हादसे में बाल बाल बच गए। यह हादसा कैसे हुआ? दो मिनट तक मुंह से बोल नहीं फूटे पर आंखों ने खौफ का मंजर बयां कर दिया। भगदड़ की भयावह तस्वीर आंखों में उतर आई। बड़ी मुश्किल से बोले, बेटा हमें साक्षात गंगा मइया ने बचा लिया, वरना जब हम दसियों लोगों के नीचे दबे थे तो लग रहा था प्राण अब निकले कि तब, ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे। मगर इस मृत्युलोक में और जीना लिखा था। शरीर का भुर्ता बन गया पर प्राण नहीं निकले। समय करीब साढ़ छह बजे का था। प्लेटफार्म नंबर छह पर फुटओवर ब्रिज पर दोनों तरफ से भीड़ का दबाव बढ़ रहा था। खड़ा होना मुश्किल था, इतने में एक महिला भीड़ में गिर पड़ी। लोगों को लगा कि बेहोश हुई है। उसके साथ के लोगों ने जगह बनाने के लिए भीड़ को धक्का दिया, इतने में कुछ लोग नीचे गिर गए। इससे पहले कि लोग संभल पाते जीआरपी ने भीड़ पर लाठी भांज दी। फिर क्या था, जो गिरा उठ नहीं पाया। थोड़ी देर में चीख-पुकार मच गई। सीढि़यां लाशों और घायलों से पट गई। तीन मिनट में 36 जिंदगियों पर काल ने झपट्टा मार दिया। घायल तड़पते रहे पर घंटों कोई नहीं आया। हमने अपनी आंखों के सामने कई घायलों को तड़पकर दम तोड़ते देखा। मुझे भी लगा कि मौत अब आई कि तब। शरीर के कई हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया, पर सांसें चलती रहीं। उठने की असफल कोशिश के बाद जब जमीन पर गिरा तो किसने सहारा दिया और कब अस्पताल आ गया पता नहीं। आंख खुली तो अपने को अस्पताल में पाया। मेरे साथ लातेहर के ही अजय प्रसाद गुप्ता, रामदास भारतीय, मनिका और वीरेंद्र थे। भगवान का शुक्त्र है कि हम पांचों हादसे में बाल-बाल बच गए। गंगा प्रसाद जादव ने बताया कि इस हादसे के पीछे रेलवे प्रशासन की बदइंतजामी कारण है।

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