वाह विराट!, जैसा नाम वैसा काम
[शिवम् नारायण] नई दिल्ली। विराट कोहली ने एक बार फिर दिखा दिया कि इस वक्त टीम में उनसे बेहतर लय किसी के पास नहीं है। चाहे वो विदेशी जमीन पर हो या फिर भारत में, इस युवा खिलाड़ी ने पिछले एक साल में बार-बार अपने हुनर के दम पर यह ऐलान किया कि है कि जैसा उनका नाम है वैसा ही वह करके भी दिखाएंगे।
[शिवम् नारायण]
नई दिल्ली। विराट कोहली ने एक बार फिर दिखा दिया कि इस वक्त टीम में उनसे बेहतर लय किसी के पास नहीं है। चाहे वो विदेशी जमीन पर हो या फिर भारत में, इस युवा खिलाड़ी ने पिछले एक साल में बार-बार अपने हुनर के दम पर यह ऐलान किया कि है कि जैसा उनका नाम है वैसा ही वह करके भी दिखाएंगे।
मीरपुर में पारी की दूसरी ही गेंद पर गौतम के आउट हो जाने के बाद टीम इंडिया गंभीर संकट में पड़ गई लेकिन उस समय सचिन का साथ दिया कोहली ने। साथ भी इस अंदाज में दिया कि ना सिर्फ वह खुद भी अपनी सेंचुरी के करीब बढ़े बल्कि सचिन को भी अपना अर्धशतक पूरा करने का हौसला मिला। दोनों बल्लेबाजों के बीच शतकीय साझेदारी हो चुकी थी लेकिन सचिन का विकेट गिरते ही एक बार फिर संकट के बादल नजर आने लगे। उम्मीद थी, तो सिर्फ दिल्ली के दिलेर विराट से ही लेकिन इस बार रोहित शर्मा भी बखूबी टीम में अपनी जगह बचाते दिखे और उन्होंने कोहली के साथ लय मिलाना शुरू किया। शर्मा का साथ पाकर कोहली एक बार फिर खुलकर खेले और 97 गेंदों में अपना शतक पूरा कर लिया। यह कोहली के वनडे करियर का 11वां शतक है। आपको बता दें कि टीम इंडिया के कप्तान धौनी 2004 से खेल रहे हैं, उन्होंने कई मैच फिनिशिंग पारियां भी खेली हैं लेकिन उनके नाम अब तक सात शतक ही हैं, जबकि 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाला यह विराट शेर ना जाने धौनी से किस रफ्तार में आगे निकला जा रहा है।
विराट ने 100 रन बनाने के बाद एक बार फिर अपने संयम और आक्रामकता का नमूना पेश किया और कुछ देर टीम की स्थिति को देखते हुए धीरे खेलने का फैसला लिया। नतीजतन जब वह उन्होंने 131 गेंदों पर 150 रन पूरे किए तब तक टीम इंडिया जीत की हाट सीट पर दिखने लगी थी। उस वक्त 9 ओवर बाकी थे और जिस रफ्तार में कोहली खेल रहे थे उससे यही लगा कि कहीं आज सचिन-वीरू के दोहरे शतक के रिकार्ड पर सेंध तो नहीं लगने वाली। लेकिन यह ना सही लेकिन कोहली ने जाते-जाते एक बार फिर धौनी के रिकार्ड को चुनौती दी और माही के 183 के सर्वाधिक स्कोर की बराबरी करने के बाद ही अपना विकेट गंवाया। इस पूरी पारी के दौरान उनके बल्ले से 22 चौके और एक छक्का निकला। इसी पारी के दम पर भारत अपने वनडे इतिहास में सबसे तेज लक्ष्य का पीछा भी कर सकी। इससे पहले कोहली ने फरवरी में ट्राई सीरीज के दौरान आस्ट्रेलिया में लंका के खिलाफ 133 रनों की नाबाद पारी खेलकर भारत को बोनस अंक दिलाया था उस मैच में भी भारत कोहली के दम पर ही सबसे तेज 300 का आंकड़ा पार करने में सफल रहा था जबकि इसी सीरीज में लंका के खिलाफ पहले मुकाबले में कोहली ने 108 रनों की अपनी पारी से समां बांधा था। यह तो निश्चित नहीं कि यह चमकता सितारा किस दिन टीम इंडिया की कप्तानी करेगा लेकिन इतना तय है कि अगला नंबर कोहली का ही है।
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