जिसे भगवान याद करे, वही भक्त
आचार्य कुलदीप पांडेय ने कहा है कि सद्गुरु एक शिल्पी के समान है, जो अपने साधक रूपी पत्थरों को तराशकर उपयोगी बनाता है।
देहरादून। आचार्य कुलदीप पांडेय ने कहा है कि सद्गुरु एक शिल्पी के समान है, जो अपने साधक रूपी पत्थरों को तराशकर उपयोगी बनाता है। उन्होंने कहा कि भक्त भी दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो भगवान व सद्गुरु की याद करता है और दूसरा वह जो जिसे भगवान व सद्गुरु याद करते हैं। स्वर्गपुरी मंदिर निरंजनपुर में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक हरिओम धवन की स्मृति में सत्संग करते हुए उन्होंने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जन्म के साथ ही मृत्यु निश्चित है, लेकिन जीवित वही रहता है, जो अपने सत्कर्मो द्वारा लोगों के बीच पहचान बनाकर नश्वर शरीर को छोड़ता है। भजन मंडली ने सुख भी प्रभु तेरे हैं, दुख भी तेरे हैं, छोडं़ू किसे भगवन, दोनों ही तुम्हारे हैं जैसी भजन प्रस्तुतियों से मन मोहा।
बैशाखी मेला 13 अप्रैल से गौतम कुंड चंद्रबनी में 13 अप्रैल से तीन-दिवसीय बैशाखी मेला आयोजित होगा। श्री गंगा उद्धार सेवा समिति की मंगलवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
संस्कार बिना संसार नहीं प्राचीन शिव मंदिर जैंतनवाला में चल रहे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण नवाह्न भक्ति यज्ञ ने पूर्णाहुति के साथ विराम लिया। इस मौके पर स्वामी माधवाश्रम महाराज ने संस्कृति एवं संस्कारों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी परंपराओं को छोड़ देता है, उसका अस्तित्व मिट जाता है। कथा व्यास तुलसीराम पैन्यूली ने कहा कि सदाचार सर्वोत्तम धर्म है, जो समाज को जागरूक करता है।
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