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कुंभ मेले के लिए 104 दवाइयां, 29 औजार

चिकित्सा विभाग ने मेले में चलाए जा रहे चिकित्सालयों में शुक्रवार तक 58 हजार तीर्थयात्रियों के इलाज का दावा किया है। करोड़ों की जनसंख्या के बीच यह आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 21 Jan 2013 04:26 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2013 04:26 PM (IST)
कुंभ मेले के लिए 104 दवाइयां, 29 औजार

इलाहाबाद। चिकित्सा विभाग ने मेले में चलाए जा रहे चिकित्सालयों में शुक्रवार तक 58 हजार तीर्थयात्रियों के इलाज का दावा किया है। करोड़ों की जनसंख्या के बीच यह आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है। सौ साल पहले इलाहाबाद के आसपास के जिलों में फैली महामारियों के हिसाब से कुंभ में दवाओं की व्यवस्था की जाती थी। अंग्रेजों ने 1918 के कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के इलाज की विशेष व्यवस्था की थी। इलाज की व्यवस्था के लिए 104 जीवन रक्षक दवाइयां और 29 चिकित्सीय उपकरण खरीदे गए थे। इसके अलावा कई संस्थाओं ने निजी अस्पताल भी खोले थे जहां स्नानार्थियों का मुफ्त इलाज किया गया।

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मेला क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटा गया था। एक मुख्य और तीन अन्य अस्पताल तैयार किए गए थे। मुख्य चिकित्सालय सौ बेड का और 25-25 बेड के अन्य तीन अस्पताल बनाए गए थे। मुख्य अस्पताल में आपातकाल में सौ अतिरिक्त बेड लगाए जा सकते थे। पूरे मेले के दौरान एक कालरा, दो प्लेग और दो चिकन पॉक्स के मामले सामने आए। मेले में 14 सहायक सर्जन लगाए थे। डायरिया व कालरा रोकने को विशेष एहतियात बरतने का निर्देश था। मौत के आंकड़ों में उन लोगों को नहीं शामिल किया गया था जिन्होंने बीमारी की सूचना अस्पताल को नहीं दी थी।

क्षेत्रीय अभिलेखागार इलाहाबाद की कुंभनगर में लगी प्रदर्शनी के एक दस्तावेज में लिखा है कि सेवा समिति ने चार आयुर्वेद और एक एलोपैथिक, राम कृष्ण मिशन ने एक एलोपैथिक, हितकारिणी सभा ने एक आयुर्वेदिक अस्पताल खोले थे। इन अस्पतालों में भर्ती होने वाले गंभीर रोगियों को मेला अस्पताल में भेज दिया जाता था। डिप्टी सेनेटरी कमिश्नर डॉ. ए सूजा ने अंग्रेजी शासन को भेजी रिपोर्ट में लिखा है कि इन अस्पतालों में सेवा करने के साथ-साथ मुख्य स्नान पर्वो पर भीड़ को नियंत्रित करने में मिश्रा, कुंजरू, तिवारी, वाजपेयी, मोहनदास और मूलचंद मालवीय ने सराहनीय कार्य किया।

महामारी प्रभावित क्षेत्रों के तीर्थ यात्रियों की विशेष जांच

मेले में महामारी रोकने के लिए दो सहायक सर्जन को तीर्थयात्रियों की जांच के लिए लगाया गया था। अभिलेख अधिकारी अमित अग्निहोत्री बताते हैं कि ये सर्जन फाफामऊ में कैंप लगाकर कालरा पीडि़त क्षेत्रों मसलन प्रतापगढ़ और सुल्तानपुर से आने वाले श्रद्धालुओं की जांच करते थे। कालरा पाए जाने पर उन्हें मेले में प्रवेश से रोक दिया जाता था। असिस्टेंट सर्जन गौरी नाथ, बीबी रॉय और मनकरन श्रद्धा के निर्देशन में अस्पताल संचालित किए गए। डॉ. रनजीत सिंह ने 10 फरवरी तक अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर यूनाइटेड प्रॉविंसेज के सचिव को रिपोर्ट भेजी थी।

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