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बजेंगे घुंघरू-बोलेंगे साज, राधा चरण दर्शन होंगे आज

झूलनोत्सव की शाम गुरुवार को हो गई। द्वापर की लीलाओं का सूर्योदय शुक्त्रवार को होगा। राधा-कृष्ण रूप बदलेंगे और संग-संग विहार करेंगे। श्रीजी रुनझुन घुंघरू बजा अपने चरणों के दर्शन देंगी। साल में सिर्फ एक दिन होने वाले चमत्कारी उत्सव के केंद्र सप्त देवालयों में व्यापक तैयारियां होने लगी हैं।

By Edited By: Published: Fri, 03 Aug 2012 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2012 11:17 AM (IST)
बजेंगे घुंघरू-बोलेंगे साज, राधा चरण दर्शन होंगे आज

वृंदावन। झूलनोत्सव की शाम गुरुवार को हो गई। द्वापर की लीलाओं का सूर्योदय शुक्त्रवार को होगा। राधा-कृष्ण रूप बदलेंगे और संग-संग विहार करेंगे। श्रीजी रुनझुन घुंघरू बजा अपने चरणों के दर्शन देंगी। साल में सिर्फ एक दिन होने वाले चमत्कारी उत्सव के केंद्र सप्त देवालयों में व्यापक तैयारियां होने लगी हैं।

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सप्त देवालयों में शामिल गोपीनाथ, गोविंददेव, मदनमोहन, गोकुलानंद में शुक्त्रवार को राधारानी का रूप-स्वरूप इस प्रकार सजाया जायेगा कि उनके चरणों का दर्शन कर श्रद्धालु कृतार्थ हो जाएं। राधाश्यामसुंदर में नौका विहार तथा राधादामोदर श्याम श्यामा बन वीणा बजाएंगे। राधा दामोदर के सेवायत गोस्वामी कृष्ण बलराम कहते हैं कि साल में सिर्फ एक बार होने वाला पुण्य उत्सव सुबह से शुरू हो जाएगा। इसलिये इसका दीदार करने के लिये गुरुवार को श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया।

गोकुलानंद के सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी का कहना है कि राधा चरण दर्शन साल में एक दिन होने के चलते शुक्त्रवार को देश के साथ विदेशी श्रद्धालु भी पहुंचेंगे। मदनमोहन, गोकुलानंद मंदिरों में श्रीजी को राजा, कान्हा को कोतवाल, सखाओं को सखी एवं सखियों को सखा रूप में जीवंत लीला करने के लिये सामूहिक तैयारियां की जा रही हैं।

गुरुवार को सप्त देवालयों में राधा-कृष्ण को गर्भ गृह से बाहर लाकर और मन मोहना श्रृंगार कर झूला झुलाया गया। इस दौरान पूर्णिमा पर नगर में आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। संजी कलाई और पर्व के रंग में रंगे भाइयों एवं बहनों ने सपरिवार बांके विहारी सहित सभी मंदिरों में दर्शन कर पुण्य फल प्राप्त किया।

गोपीनाथ को हरित श्रंगार में झूलना झुलाने के बाद सेवायत कृष्णा गोस्वामी ने शुक्त्रवार के वन विहार उत्सव को प्राकृतिक रूप देना आरंभ कर दिया। रक्षाबंधन की परंपरा को आगे बढ़ाते हुये राधारमण प्रभु को भी स्वर्ण राखी बांधी गई। शुक्त्रवार को मंदिर में 56 भोग के दर्शन होंगे।

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