कर लो तौबा, मिलेगी मगफिरत
रमजान में अल्लाह-ताला अपने उन बंदों को माफ कर देता है, जो उसकी इबादत करते हैं। उसके हुक्म के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजारते हैं और गुनाहों से बचने की कोशिश करते हैं।
इलाहाबाद। रमजान में अल्लाह-ताला अपने उन बंदों को माफ कर देता है, जो उसकी इबादत करते हैं। उसके हुक्म के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजारते हैं और गुनाहों से बचने की कोशिश करते हैं।
हदीस में कहा गया है कि झूठ, गीबत, फरेब, फसाद से दूर रहने वाले, दूसरों को तकलीफ न देने वाले ही अल्लाह के नेक बंदे कहलाते हैं। वैसे तो पूरे साल इंसान को इसी तरह की जिंदगी बसर करनी चाहिए मगर इंसान दुनियावी कामों में मशगूल होकर असल जिंदगी गुजारने के तरीके को भूल जाता है। रमजान भूला हुआ सबक याद दिलाने को आता है, ताकि इंसान के किरदार और उसके अमल की सफाई हो जाए। रवायत के मुताबिक रमजान का पहला असरा रहमत का इसी मायने में है कि अपने बंदों को अल्लाह-ताला तौफीक देता है अपनी इबादत अदा करने की । साथ ही रमजान का मुकद्दस महीना उसे नेमत के तौर पर अता करता है।
मंगलवार से मगफिरत का असरा शुरू हो रहा है। लिहाजा, हमे चाहिए कि हम अपने नेक अमल इस तरह से करें कि अल्लाह हमारे गुनाहों को माफ कर दे और तीसरा असरा, जो जहन्नुम से रिहाई का है, उसमें अल्लाह-ताला हमें रिहाई का परवाना अता फरमा दे।
इस असरे में तौबा की कसरत कलमे का जिक्त्र , नमाज की पाबंदी, कुरान की तिलावत, तरावीह का एहतमाम और तहज्जुज की नमाज को महमूल बनाना चाहिए। अल्लाह से तहज्जुज के वक्त में रो-रोकर, गिड़गिड़ाकर अपने दीन और दुनिया की भलाई अपने मुल्क में अमन व सलामती के लिए खूब-खूब दुआएं करनी चाहिए, क्योंकि इस वक्त दुआ के कुबूलियत का वादा है।
रोजा अफ्तार में जुटी भीड़
करेली स्थित एक गेस्ट हाउस में चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से आयोजित रोजा-अफ्तार पार्टी में रोजेदारों की खासी भीड़ उमड़ी। अफ्तार के दौरान महाधिवक्ता कमरुल हसन सिद्दीकी, मसूद किबरिया, मोहम्मद जावेद आदि मौजूद रहे।
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