जन्म हमार सुफल भा आजू
गृहस्थ जीवन में मिली सारी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर काम, मोह, लोभ, अर्थ का त्यागकर इस संगम नगरी में लाखों श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं। इन कल्पवासियों में कई प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ व्यापारी और चिकित्सक भी हैं।
कुंभ नगर। गृहस्थ जीवन में मिली सारी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर काम, मोह, लोभ, अर्थ का त्यागकर इस संगम नगरी में लाखों श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं। इन कल्पवासियों में कई प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ व्यापारी और चिकित्सक भी हैं। इन्हीं में से एक हैं वाराणसी विकास प्राधिकरण के संयुक्त सचिव सतीश चंद्र मिश्र, जिन्होंने कल्पवास के लिए एक माह की छुट्टी भी ले ली है। सेक्टर 10 में भ्रमण के दौरान अचानक ही उनसे मुलाकात हो गई। पूछा, आप यहां कैसे आ गए? जवाब मिला मैं भी कल्पवास कर रहा हूं। सवा माह की छुट्टी ली है। पत्नी के साथ कुंभ आया और संकल्प लेने के बाद शुरू हो गया कल्पवास। बताया, गृहस्थ जीवन सफल रहा है, अब वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करने का समय आ गया है। तीन बरस बचे हैं सेवानिवृत्ति में, सो सोचा इसी साल से कल्पवास शुरू कर दूं। स्वामी अच्युतानंद के शिष्य मिश्र ने बताया कि तीन बच्चे हैं। एक चिकित्सक है, दूसरा बेटा प्रोफेसर और बेटी गृहणी। अब प्रभु से शांति की चाह है। उनकी पत्नी उर्मिला मिश्र ने बताया कि यहां काफी सुकून मिल रहा है।
सतीश चंद्र मिश्र से बातचीत के बाद आगे बढ़े तो सेवानिवृत्त पुलिस अफसर से मुलाकात हो गई। हडि़या के रहने वाले वैंकटेश्वर दूबे ने बताया कि वे 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे। 1987 में कल्पवास शुरू किया, जो अब तक जारी है। बोले, जबतक जीवन रहेगा तब तक कल्पवास करेंगे। इलाहाबाद के अशोक कुमार केसरवानी व्यवसायी हैं। पत्नी ममता केसरवानी के साथ वह तीन वर्षो से कल्पवास कर रहे हैं। प्रतापगढ़ के रामरतन आयुर्वेद चिकित्सक हैं। वे भी अपनी पत्नी मालती देवी के साथ नौ साल से कल्पवास कर रहे हैं।
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