बाबा मंदिर में वैशाखी कीर्तन की धूम
इन दिनों बाबा मंदिर प्रांगण में वैशाखी कीर्तन की धूम मची हुई है। देर शाम कीर्तन मंडली द्वारा पालाबंदी कीर्तन किया जाता है। कीर्तन सुनने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। बुधवार देर शाम बसंत कीर्तन समाज मंडली द्वारा सती-दक्ष प्रसंग पर कीर्तन किया गया।
देवघर। इन दिनों बाबा मंदिर प्रांगण में वैशाखी कीर्तन की धूम मची हुई है। देर शाम कीर्तन मंडली द्वारा पालाबंदी कीर्तन किया जाता है। कीर्तन सुनने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। बुधवार देर शाम बसंत कीर्तन समाज मंडली द्वारा सती-दक्ष प्रसंग पर कीर्तन किया गया।
इस अवसर पर प्रमुख कलाकार लक्ष्मीकांत सरेवार ने गणेश वंदना से कीर्तन की शुरुआत की। इसके बाद दक्ष प्रकरण पर कीर्तन शुरू हुआ। कीर्तन की खासियत यह है कि कीर्तन गाने वाले बीच में संबंधित प्रकरण पर संबोधन करते हैं और फिर से गायन द्वारा पेश करते हैं। इस अवसर पर लक्ष्मीकांत ने कैलाशपुरी में राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ के बारे में लोगों को बताया। यह भी बताया कि शिव जी को यज्ञ में निमंत्रण नहीं मिलने के बावजूद सती यज्ञ में जाने की जिद कर बैठी। यज्ञ में सारे देवी-देवताओं को निमंत्रित किया गया था। सिर्फ शिव जी अलग-थलग थे। सती जब यज्ञ स्थल पर पहुंचती है तो सबका सिंहासन देखती है, लेकिन वहां शिव जी के लिए कोई जगह नहीं थी। इसे शिव की अवहेलना समझ कर सती यज्ञ की अग्निकुंड में आत्मदाह कर लेती है। इससे आक्त्रोशित होकर शिव के यज्ञस्थल पर पहुंचने और वहां की स्थिति का वर्णन सुनकर भक्त भावविभोर हो गए। इस अवसर पर शिव पूजन झा, नुनूमणि मिश्र, किशोर राज, प्रफुल्ल राज, बाबा मठपति, बाबू सरेवार, मधु झा, गोकुल झा आदि ने कीर्तन में सहयोग किया।
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