स्वामी सानंद का इलाज से इनकार
गंगा की अविरलता के लिए तपस्यारत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने 17 अप्रैल की बैठक से पहले किसी प्रकार के इलाज से साफ तौर पर इंकार कर दिया है।
नई दिल्ली। गंगा की अविरलता के लिए तपस्यारत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने 17 अप्रैल की बैठक से पहले किसी प्रकार के इलाज से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। यह भी कहा है कि यदि बैठक में माकूल निर्णय नहीं किए गए तो भी इलाज कराने का कोई औचित्य नहीं बनता। एम्स के चिकित्सकों को उन्होंने यह लिख कर भी दे दिया है।
इधर, स्वामी सानंद को एम्स के आइसीयू में बिना कारण जबरन रखने से संत समाज बेहद व्यथित है। संत मान रहे हैं कि स्वामी को जनता और मीडिया की कवरेज से दूर रखने के उद्देश्य से यहां भर्ती कराया गया है। वेदना इस बात को लेकर ज्यादा है कि बिना बीमारी के स्वामी सानंद को नजरबंद रखने के लिए एम्स के आइसीयू को घेर लिया गया है। इससे वास्तविक बीमार या रोगी इलाज से वंचित रह जा रहे हैं, जिसे वह महापाप मान रहे हैं।
इसके विरोध में अखिल भारतीय संत समिति [उत्तर भारत] के अध्यक्ष महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत कालिका पीठ ने संत समाज की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात का समय मांगा है, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। महंत अवधूत ने कहा है कि यदि सरकार लोक कल्याण की मंशा से संतों द्वारा किए जा रहे धार्मिक कृत्यों में इस तरह की दखलंदाजी जारी रही तो वे दूसरा रास्ता अख्तियार करने को बाध्य होंगे। शुक्रवार शाम को सिर्फ द्वारका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ही स्वामी सानंद से मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि तीन दिन से जल नहीं ले रहे स्वामी सानंद फिलहाल बिल्कुल स्वस्थ हैं। यदि पानी की कमी है तो उन्हें ड्रिप दी जा सकती थी, लेकिन आइसीयू में भर्ती करने का कारण समझ में नहीं आता। बकौल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, संत समाज की पीड़ा यही है कि राजनीतिक कारणों से एम्स के आम रोगियों को तकलीफ हो रही है।
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