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अपने ईष्ट संग कल्पवास को निकले संत

अमृत का अर्थ सिर्फ जल नहीं, न ही कुंभ पर्व किसी जाति विशेष से जुड़ा है। कुंभ सबको साथ लेकर चलने की संस्कृति है। इसमें ज्ञान, चेतना एवं संस्कृति का मिलन होता है।

By Edited By: Published: Wed, 19 Dec 2012 03:48 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2012 03:48 PM (IST)
अपने ईष्ट संग कल्पवास को निकले संत

इलाहाबाद। अमृत का अर्थ सिर्फ जल नहीं, न ही कुंभ पर्व किसी जाति विशेष से जुड़ा है। कुंभ सबको साथ लेकर चलने की संस्कृति है। इसमें ज्ञान, चेतना एवं संस्कृति का मिलन होता है। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने जानकारी दी कि संगम क्षेत्र स्थित उनके शिविर में धर्म के साथ सामाजिक व सांस्कृतिक मुद्दों पर मंथन किया जाएगा। इस दौरान जल संसद का आयोजन होगा। इसमें देश-विदेश के दो सौ से अधिक वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह संसद हरिद्वार उज्जैन में पहले लग चुकी है। स्वामी अवधेशानंद ने बताया कि कुंभ क्षेत्र में आध्यात्मिक रहस्य से रूबरू होंगे। साथ ही सांस्कृतिक सम्मेलन होगा। इसमें महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन होगा। इसमें तीजन बाई, हरिप्रसाद चौरसिया, गुरदास मान, बिरजू महाराज जैसे कलाकार शामिल होंगे।

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नागाओं ने किया रोमांचित-

पेशवाई में बैंडबाजा, डीजे की धुनों पर नागा साधु भाला, त्रिशूल व डंडा लेकर आकर्षक करतब दिखाते हुए चल रहे थे। जिसे देख सड़क के किनारे खड़े लोग रोमांचित हो गए। लोग ताली बजाकर इसका आनंद ले रहे थे।

अस्त्र-शस्त्र ने किया आकर्षित-

पेशवाई में सैकड़ों वर्ष पुराने अस्त्र-शस्त्र को लोग आश्चर्य से देख रहे थे। इसमें दो सौ वर्ष से अधिक प्राचीन गदा, भाला, फरसा व त्रिशूल को लेकर नागा सन्यासी करतब दिखा रहे थे। मौज गिरि मंदिर में उनका विधि-विधान से पूजन किया गया। यह शस्त्र शाही स्नान पर पुन: निकलेंगे।

गजराज ने खींचा ध्यान-

पेशवाई में संतों के साथ चल रहे गजराज सबके आकर्षण का केंद्र रहे। उनके ऊपर कभी नागा सवार होकर करतब दिखाते कभी, दूसरे महंत जाकर बैठ जाते। दांत व सूंड में माला लिए गजराज को छूने के लिए हर कोई लालायित नजर आया।

साथ ले गए मिट्टी-

पेशवाई समाप्त होने के बाद सड़क के किनारे खड़े लोगों ने वहां की मिट्टी को माथे पर लगाया। कई महिला और पुरुष आशीर्वाद स्वरूप मिट्टी साथ ले गए।

विक्षिप्त के चलते मची भगदड़-

पेशवाई के दौरान पुलिस के जवान जगह-जगह तैनात थे, लेकिन कीडगंज के पास एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति महंतों के बीच में प्रवेश कर गया। इससे वहां भगदड़ की स्थिति हो गई। बाद में उसे महंतों व जवानों ने मारकर भगाया।

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