जारी रहेगी गंगा तपस्या
काशी में तपस्वियों की तपस्या से अभिभूत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने स्वीकार किया कि बिना कोई परिणाम आए तपस्या तोड़वाना उचित नहीं है, लिहाजा गंगा तपस्या जारी रहेगी।
वाराणसी। काशी में तपस्वियों की तपस्या से अभिभूत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने स्वीकार किया कि बिना कोई परिणाम आए तपस्या तोड़वाना उचित नहीं है, लिहाजा गंगा तपस्या जारी रहेगी।
तपस्वियों का हाल लेने शुक्रवार को दिल्ली से काशी आए जद्गुरु शंकराचार्य ने श्री विद्यामठ में पत्रकारों से कहा कि गंगा के संदर्भ में बिना कोई सार्थक परिणाम आए तपस्या क्यों और कैसे समाप्त करायी जाए, यह एक बड़ा सवाल है। तपस्या मेरे कहने से नहीं शुरू हुई है। यह तो गंगा के प्रति तपस्वियों की अपनी भावना है। उनकी भावना पूरी होती नहीं दिख रही है फिर वह कैसे तपस्या तोड़ेंगे? वैसे गंगा अभियान और तपस्या से जुड़े खास बिंदुओं पर शनिवार को काशी के प्रबुद्धजनों से चर्चा कर ही कोई निर्णय किया जाएगा। उन्होंने काशी के लोगों की एकता, गंगा के प्रति श्रद्धा और समर्पण की मुक्त कंठ से सराहना की और कहा कि काशी के लोगों के अथक प्रयास से ही आंदोलन परवान चढ़ा है लिहाजा उनसे चर्चा किए बिना तपस्या की बाबत कोई निर्णय लेना उचित नहीं है।
काशी में जारी तपस्या और दिल्ली में संतों की गर्जना के बाद भी सरकार की चुप्पी पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश के बाहर हैं, आंदोलन का सरकार पर क्या असर पड़ा यह तो पता नहीं। हां, इतना कहा जा सकता है कि तपस्वियों ने अपना संकल्प पूरा किया। सरकार को भी अपना संकल्प पूरा करना चाहिए। सरकार में बैठे लोग हों अथवा बाहर के, सभी की भावना गंगा से जुड़ी है। श्रद्धा सभी के मन में है, वे सभी गंगा की अविरलता-निर्मलता चाहते हैं। इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि सभी राजनीतिक लोग स्वार्थ को वरीयता दे रहे हैं।
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