आस्था का केंद्र है पाताल खेडि़या
जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र के गांव पाताल खेडि़या में स्थित तीन शिवलिंगों की अपनी महत्ता है। माना जाता है यह यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। वहीं इगलास क्षेत्र के बेसवां स्थित ऋषि विश्वामित्र जी की तपोभूमि तीर्थधाम धरणीधर सरोवर भी श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है।
इगलास [अलीगढ़], जागरण संवाददाता। जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र के गांव पाताल खेडि़या में स्थित तीन शिवलिंगों की अपनी महत्ता है। माना जाता है यह यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। वहीं इगलास क्षेत्र के बेसवां स्थित ऋषि विश्वामित्र जी की तपोभूमि तीर्थधाम धरणीधर सरोवर भी श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। इस मंदिर पर दूरदराज से आकर शिवभक्त मन्नतें मांगते हैं। वैसे तो यहां प्रत्येक सोमवार को भक्तों का जमावड़ा रहता है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को दर्शन के लिए लाइन लगानी पड़ती है। महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर पर धार्मिक अनुष्ठान के साथ मेले का आयोजन भी किया जाता है।
पाताल खेडि़या के शिव भक्त मंदिर संचालक परमानंद गिरी महाराज बताते हैं कि यह स्थान शिव के पुत्र कार्तिके की जन्म स्थली है। द्वापर युग में कार्तिके ने ताड़कासुर नामक राक्षस का वध किया था। ताड़कासुर शिवभक्त था। इसके प्रायश्चित के लिए कार्तिके ने विश्वकर्मा से तीन विशुद्ध शिवलिंगों का निर्माण कराया। कार्तिके ने कुमारेश्वर, प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर नामक तीन शिवलिंगों की स्थापना की। इसका वर्णन शिवपुराण, स्कन्दपुराण और भागवत पुराण व विश्वकर्मा पुराण में भी है। कार्तिके ने भैमाता की प्रतिमा की भी स्थापना की थी। इस मंदिर के समीप ही पार्वती सरोवर भी है। यहां दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है।
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